वो नहीं देखता,
इसमें उसकी खता क्या है?
तुम मर मिट चुके हो एक पे,
इससे ज्यादा बता क्या है
इंसान है,
इंसान के तरीके दिखा रहा है..
जीनी है जिंदगी कैसे सिखा रहा है..
रो–रो कर क्यूं बुरा हाल कर लिया है..
ऐसा इश्क ने किसी को क्या दिया है?-
जाने तेरे शहर में
क्या बात आ गई
मिले थे अभी,
अभी बिछड़ने की रात आ गई
खुशी तो थी ही नहीं
गम की बिसात आ गई
जीते जी जीते नहीं
मरने पे मात आ गई
जाने तेरे शहर में क्या बात आ गई?-
जब उसका मिलना आसान ना था,
तब मुझको वो पसंद आया..
अब वो पास है,
तो कुछ खास नहीं लगता..!-
जो था आज ही था,
अब हमारा साथ बाकी है नहीं!
वो जिससे मिलेगा ठीक ही होगा,
परखने को रात बाकी है नहीं!
तुम गए तो ये मालूम हुआ,
हममें हमारी सी बात बाकी है नहीं!!!-
कभी-कभी लगता है मुस्लिम होती तो अपना लेता वो,
या फिर वो ही होता हिंदू काश..
फिर लगता है काश इसके परे भी सोच पाते हम!!
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जो था, आज ही था
अब हमारा साथ बाकी है नहीं
वो जिससे मिलेगा
ठीक ही होगा
परखने को रात बाकी है नहीं
जाने से तुम्हारे ये मालूम हुआ
हम में हमारी सी बात बाकी है नहीं..!-
बहुत सी बातें हैं जो बोल देनी थीं तुम्हें..
बहुत सी बातें काश खुद समझते तुम!!
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सिरे से भूल जाना चाहती हूँ
जिन घटनाओं को
मुद्दा ये है कि
सिरे से याद अाती हैं वो!-
बाबा कहते हैं
एक दिन
चले जायेगी हिंदी हमसे बहुत दूर
जैसे हिंदी के महीने और गिनतियाँ
गुम हो गये हैं कहीं
हिंदी भी चली जायेगी वहीं
और भाषाओं का बोलबाला होगा
ये एक अच्छी बात है
मगर अपनी ही भाषा को खो देना
कैसा होगा ?
अपने ही अस्तित्व को खो देना जैसा होगा !
औ खुद को खोने के बाद हम में बचेगा क्या ?
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जाने वाला जाने की बात करता है
उससे कहो गर गया वो
तो मैं किधर जाऊँगा
तुमने कहा था
रहूँगा सोहबत में तुम्हारी
तो निखर जाऊँगा
मैं बातों में अा रहा था तुम्हारी
पर जानता था मैं
मोहब्बत में बिखर जाऊँगा!
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