!!ब्राह्मण!! 🔥🔥   (अध्वर्यु आदर्श ❣️)
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Joined 27 May 2020


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मैं चाहकर भी खुश नहीं रह पा रहा हूं,
पता नहीं ये जिंदगी मुझसे चाहतीं क्या है !!

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मर्द की मानसिक स्थिति की किसी को परवाह नहीं होती,

जब तक की वो गुस्से में ना बदल जाए और फिर वह सबको बुरा लगने लगता है।

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उतने बैचेन इतने बेकरार क्यूं हैं,
लोग जरूरत से ज्यादा होशियार क्यूं हैं,
सबको सबकी हर खबर चाहिए,
सब चलते फिरते अखबार क्यूं है...?❓

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मेरी हर कोशिश रहती है, की...

अपने पसंदीदा शख्स से बात करूं उसके msgs का जवाब टाइम
से दु लेकिन कई बार हालात...
ऐसे बन जाते है कि में कुछ नहीं कर पाता, और मेरा पसंदीदा

शख्स मुझे ही गलत समझने लगता है !

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जिसे आप सबसे ज्यादा अहमियत (सम्मान)देते हैं,
उसे लगता हैं कि आप उसकी कद्र नहीं करते हैं
Q.......❓

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खुद का हाल देखने की भी फुरसत नहीं है.. मुझे !!

"वो है कि औरों से बात करने का इल्जाम.. लगाती है!..
सब कुछ जानते हुए भी wah

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कठोर इतना हूं कि सबकुछ झेल सकता हूं,
और नर्म इतना कि शब्द भी चुभ जाते हैं मुझे..!💯💯🖤🖤

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हे महादेव !
अगर मैं कभी किसी के दुख की कारण बना हूँ, तो कृपया उन्हें ठीक कर दीजिएँ,
और मुझे माफ़ कर दीजिए"

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ये गर्मी पूरी कोशिश कर रही हैं,
हमारी शक्ल को आधार कार्ड से मिलाने कि..!!

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हम बारिश से ऊब कर धूप की चाह करते हैं, फिर धूप से चल ऊबकर बारिश के लिए आसमा ताकते हैं | अकेलेपन को भूलने के लिए प्रेम करते हैं, और प्रेम से ऊबकर एक रोज अकेले रहने दो की मांग ...|🖤💯
महादेव ❣️❣️

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