जैसे उम्र बढ़ती गयी, कुछ यार कम हो गए,
ज़िंदगी से लड़ने के जैसे हथियार कम हो गए !
ये नही कि बिछड़ने पर भूल गए दोस्तों को,
अंदर मौजूद तो आज भी हैं, वो तो बस जज़्बात कम हो गए !
तकलीफ़े और परेशानियाँ तो आज भी उतनी ही हैं,
पर मुक़ाबला करनेवाले कुछ हिस्सेदार कम हो गए !
ज़्यादा नही थे, चुनिंदा दो-तीन दोस्त हैं ज़िंदगी में बस,
पर दो तीन में भी लगता हैं जैसे कुछ हज़ार कम हो गए !!
जैसे जैसे उम्र बढ़ती गयी कुछ यार कम हो गए...
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