क्यों पिता...
क्यों पिता कभी थकता नही,
क्यों वो तेरी हर ख्वाहिश को अपनी ज़िद बना लेता है,
क्यों पिता कभी तुमपर भड़कता नही...
क्यों पिता कभी रोता नहीं
क्यों वो रातों मे सोता नहीं
क्यों वो तेरी हर गलती को अपनी मान लेता है,
क्यों वो तुम्हारी हर नासमझी को हँस कर टाल देता है...
टूटती तो उसकी भी हिम्मत होगी बितते वक़्त को देख कर,
तुम्हे हिम्मत देने के लिए उसकी आँखे आंसू बहने नही देती,
उसे टूटता देख कही तुम बिखर न जाओ इस डर से
शायद जिंदगी पिता को कुछ कहने नही देती...-
जैसे उम्र बढ़ती गयी, कुछ यार कम हो गए,
ज़िंदगी से लड़ने के जैसे हथियार कम हो गए !
ये नही कि बिछड़ने पर भूल गए दोस्तों को,
अंदर मौजूद तो आज भी हैं, वो तो बस जज़्बात कम हो गए !
तकलीफ़े और परेशानियाँ तो आज भी उतनी ही हैं,
पर मुक़ाबला करनेवाले कुछ हिस्सेदार कम हो गए !
ज़्यादा नही थे, चुनिंदा दो-तीन दोस्त हैं ज़िंदगी में बस,
पर दो तीन में भी लगता हैं जैसे कुछ हज़ार कम हो गए !!
जैसे जैसे उम्र बढ़ती गयी कुछ यार कम हो गए...-
यूँ तो हारा हूँ बहुत कुछ, पर अभी भी हारा नहीं हूँ
माँ बाबूजी का आशीर्वाद है सर पे, जिंदगी मे बेसहारा नहीं हूँ-
जिंदगी दरवाजे पर् खड़ी है
पर दरवाजे पर तो कड़ी है
आज कल रुकते नही एक जगह हम
इतनी कहाँ की हड़बड़ी है-
क्या तन्हाई में अकेलेपन के गीत गाते हो
क्या सबसे जीत कर भी खुद से हार जाते हो-
𝚂𝙿𝙰𝚁𝙺 𝚆𝙸𝙻𝙻 𝙸𝙶𝙽𝙸𝚃𝙴…💥💚
festival of ̶̶̶l̶̶̶i̶̶̶g̶̶̶h̶̶̶t̶̶̶s̶̶̶- patakas🧨✨-
किसी कविता में तुम्हारा जिक्र ना कर पाना
रोजमर्रा की जद्दोजहद में पानी पीना भूलने जैसा है-
मैं चाहता हूं कि
मेरे जाने के बाद
तुम्हे कोई फिर मिले
बिल्कुल तुम्हे जैसा चाहिए
हुबहू वैसा ही
ईमानदार रहे
वक्त की दहलीज पर
हर एक रिश्ते का वक्त तय होता है
तब ऐसा क्यों कहूं
कि मेरे ना होने पर तुम्हें मुस्कुराना नहीं है
ऐसा कैसे सोच लू
कि मेरे ना होने पर तुम तुम उदास रहो
तुम्हें हक है बचे जीवन को अपनी शर्तों पर जीने का
मेरा किरदार इस रिश्ते में जब तक होगा
तुम्हारे साथ हर उस मोड़ पर खड़ा रहूंगा
जहां से तुम्हारे सबसे प्रिय तुम्हारे अपने
तुम्हारा साथ छोड़ देंगे
मैं तुम्हारी उगलियों की रिक्तता को
अपनी उगलियों से भरते हुए कहूंगा
घबराओ नहीं
" मैं तुम्हारे साथ हूँ "...-