मेरे माज़ी को मिटाया है उसने
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No great ambitions ...Passion for writing. Psychology, Philoso... read more
फिर यादों का
मौसम आया
फूल भी काँटों को
देने लगे साया
तेरे शहर की
रीत निराली
अपना ही साया
लगे है पराया-
जानना तो
॰॰॰॰॰॰॰
चुटकियों में होता है 🌿
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समझना..सदियों में 🪴-
ख़ुदा अगर by chance हमें
मुक़म्मल जहाँ दे भी दे
तो क्या हम चैन से बैठेंगे ?
हम पता करते फिरेंगे कि
किसको क्या मिला?
कितना मिला? कैसा मिला 😅-
मेरे बालों से मेरी उम्र को गिनने वालो,
मेरे ख़यालों की तंज़ीम से भी
कुछ हिसाब कर डालो.
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सोई ख़ामोशियाँ उड़ने लगी हैं पंखों पर
सारे कोहराम ने अल्फ़ाज़ कर दिये गूँगे
अब तो एहसास पे फ़ालिज का भी अंदेशा है !
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कड़वे कड़वे शब्दों को
मौन की मीठी मीठी आँच पर रखकर तो देख
करेले इस तरह होते हैं मीठे आम में तब्दील 🤗
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