मंजिल मिलेगी, भटककर ही सहीगुमराह तो वो हैंजो घर से निकले ही नहीं - फ़क़ीर आशिक़
मंजिल मिलेगी, भटककर ही सहीगुमराह तो वो हैंजो घर से निकले ही नहीं
- फ़क़ीर आशिक़