जरूरी है अपने जहन में श्री राम को जिंदा रखना,
पुतले जलाने से कभी रावन मरा नहीं करता..!-
Work - zajbaato ko panno par utarta
मर्द कभी नारी को बेइज्जत नहीं करते ।
अपनी माँ की कोख को शर्मसार नहीं करते ।।
मर्द होने का दावा तो बहुत से लोग करते हैं ।
मर्द वही जो नारी पर अत्याचार नहीं करते ।।
मर्द हो तो मर्दानगी का हक़ अदा करो ।
नारी के हिस्से का सम्मान अदा करो ।।
झूठे दिखावे से कोई मर्द नहीं बन जाता ।
मर्द हो तो नारी के दूध का कर्ज अदा करो ।।
झूठा रौब दिखाना कहाँ की मर्दानगी है ?
कमजोर को दबाना कहाँ की मर्दानगी है ?
मर्द हो तो नारी को सुरक्षा प्रदान करो ।
खेलना नारी की इज्जत से कहाँ की मर्दानगी है ?-
मेरा हाथ पकड़ कर मुझे चलाने वाले,
अब तो लौट आओ मुझको छोड़ कर जाने वाले।
तुमने हर मुस्किल मे मेरा साथ दिया है,
मैं जब-जब दलदल मे फंसा हूँ तुमने हाथ दिया है,
तेरे जाने के बाद रिश्ते सच्चे नहीं लगते,
घुटन सी होती है यहाँ लोग अच्छे नहीं लगते,
मेरे आंसू देख खुद तो परेशान हो जाते थे,
खुद तो जागते थे पर मुझको तुम सुलाते थे,
ऐसे छोड़ दोगे तन्हा तो मैं डर जाऊँगा,
मेरा यकीन करो पापा मैं मर जाऊँगा।
तुम ही तो थे मेरे साँसों को चलाने वाले,
अब तो लौट आओ मुझको छोड़ कर जाने वाले।-
राख में भी आएगी खुशबू मोहब्बत की,
मेरे खत तुम सरेआम जलाया न करो। — % &-
आज फिर जिंदगी से मुलाकात हुई,
बैठ के संग उसके यू ही कई बात हुई,
तो बोली कुछ भी अनंत नहीं है यहाँ,
यहाँ है हर सुबह की रात हुई है,
समझाया उसने दिल को की तू रोना बंद कर,
ये हसीन लम्हे तू खोना बंद कर,
रात हुई है तो जरूर इसकी सुबह होगी,
जरा इंतजार कर कल फिर उससे मुलाकात होगी! — % &-
Dear Dady
मैं आपकी कब्र पर फातिहा पढ़ने नहीं आया,
क्योंकि मैं जानता था आप मर नहीं सकते।
आपके मरने की सच्ची ख़बर जिसने फैलाई थी,
वो ख़बर झूठी थी।
हर पल अपने होने का एहसास देते हैं,
आपके हाथ मेरी उँगलियों मे सांस लेते हैं,
जब भी कुछ लिखने के लिए काग़ज़ और कलम उठाता हूँ,
आपको सामने कुर्सी मे बैठा पाता हूँ।
मैं आपकी कब्र में दफ्न हूँ,
आप मुझमें जिंदा हो।-
तुमसे मिलने से पहले ना जाने किस घर में रहता था मैं
ना जाने कैसी गलियाँ थीं जो मुझे चलने के क़ायदे बताती थी।
मुझसे कहतीं कि तुम्हारी एड़ियों पर बर्फ़ जमी हुई है,
लिपटा हुआ है ख़ून तुम्हारे दाहिने पैर के अंगूठे से।
ये ख़ून किसका है?
क्या तुमने कोई परिंदा उड़ाया है?
या चला कर छोड़ आये हो कोई बात एक उम्र से ख़ामोश पड़े उस आँगन में।
उस आँगन के फूल कब से नाराज़ बैठे है?
ये सारे सवाल बड़े अटपटे से लगते थे मुझे
मैं उनके जवाब ढूँढता था, उन जवाबों को ढूँढते हुए
मैं इतने आगे निकल आया कि मुझे तुम मिल गये
एक चौक की भीड़ में,
उस भीड़ के शोर में।
तुम्हें देख कर लगा, सारे जवाब मिल गये
वो सारे जवाब लेकर अब घर वापिस जा सकता हूँ मैं।
उन नाराज़ फूलों को मना सकता हूँ मैं।
उस आँगन में फिर से तितलियाँ सजा सकता हूँ मैं।-
आपके जाने के बाद
आँगन का ख़ालीपन कभी न भर पाया
दहलीज लांघ तो लिया
मगर खुशियों को तिनके में ही जुटाया
कभी ना खिली माँ के चेहरे की रंगत
ना फिर खिला कोई फूल यहाँ
पापा आपके जाने के बाद
हर बार फटकार लगाती है ज़िंदगी
सिमट जाती है रातों के अंधेरेपन में
आंसुओं की धार में बसर करती है
माँ की आंखों में ठहरा हुआ समुंदर
बहने को आतुर है मगर ठहरा हुआ है
पापा आपके जाने के बाद
चल रही है ज़िंदगी कट रहा है लम्हा
पर उम्मीदें जल चुकी हैं तपन की आग में
ना कोई ख्वाहिश बची ना ख़ाब देखते हैं
कंधे पर रख के जिम्मेदारियाँ
हर दिन नया सफ़र तय कर रहे है
पापा आपके जाने के बाद
पापा आपके जाने के बाद।-
जब भी ज़माने को मेरा फितूर बताया करो तो,
थोड़ा अपने आखों का नूर भी बताया करो ,
और ये जो तुम गैरों से मिल लेती हो न हस-हस कर
यार एक शायर की मोहब्बत हो थोड़ा गुरूर दिखाया करो.!-