लग रही है दस्तक अभी भी,
दिल के दरवाजे पर होले से।
खोला है दरवाजा हमने अब,
यहां भीड़ जरा लंबी लगी है।
दस्तक लगाई किसने अभी,
आंखे यहां सब चुरा रहे है।
कोई एतराज हमे नहीं है,
तूफान बाहर मचा हुआ है,
अंदर भी आओ,
ठहर भी लो जरा,
आपके दिल के दरवाजे पर,
एक हल्की दस्तक हम लगाते है।- बिट्टू श्री दार्शनिक
23 JUL 2022 AT 23:44