छोड़ गया था तुझे तेरी भरी बाहों से,
देता गया था उम्मीद तुझे तेरी आंखों में।
बहे जा रहे थे आंसु अनरुके तेरी आंखों से,
याद है मुझे भी वो हर पल हर लम्हा तुम्हारा।
नाराजगी आज भी ढो रहा हूं, माफी केसे मांगू?
वो वक्त और हालात नहीं चुका पाया हूं।
अब मौका मिला है सदियों बाद ये एक,
तु बस याद कर, मां लौट आऊंगा तेरे चरणों में।
- बिट्टू श्री दार्शनिक