नफ़रत
सुनो, तुम्हारी वफ़ा पे मुझे बेशक यकीन है,
पर ज़माने के वार का कोई भरोसा नहीं है
सो, अगर कभी ऐसा हो, की तुम्हे मुझसे नफ़रत हो जाए
तो कभी उन बातो से नफ़रत न करना
जो कभी हमने एक दूसरे से की थी
क्योंकि बाते तो जिंदगी की हकीक़त होती है
वो घर जहां हम पहली बार मिले थे,
वो पहला नया साल
वो पहली बार तुम्हारा मुझसे लिपट जाना
वो cafe की पहली कॉफी
वो तुम्हारा पहला झूमका
वो बस का पहला टिकट
और साथ की दो सीटें
और न जाने कितनी अनगिनत यादें
सबको याद रखना
कभी उनसे नफ़रत न करना
कभी उनसे नफ़रत न करना
क्योंकि ये सब तो लम्हें है, सभी स्वार्थी इरादों से दूर
सुनो बस मुझसे , सिर्फ मुझसे नफ़रत करना
इन लम्हों से नहीं
सिर्फ मैं और सिर्फ मैं तुम्हारी वफ़ा और नफ़रत के काबिल हूं ।
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सिगरेट , मैं और वो
बीते दिसंबर की एक सर्द शाम
अपने लबों पे दो उंगलियां रखे,
होठों से भाप का धुआं उड़ाते
जैसे किसी ख्याली सिगरेट की कश लगाते
मुझे देख वो हस कर बोली थी
सुनो , तुम्हे पता तो है न
मुझे दायरे बनाए हुए धुएं के गोले कितने अच्छे लगते है,
मगर, तुम सिगरेट नहीं पीते हो ,
फिर भला क्या ख़ाक जीते हो
काश , तुम्हें ये भोग लगे
तुम्हें भी मोहब्बत का रोग लगे ।
चलो फिर, तुम्हारी दुआ पूरी हुई ,
एक और बर्बादी ज़रूरी हुई
अब मैं धुएं में डूबा रहता हूं
ख़ुद ही ख़ुद से रूठा रहता हूं
अपने रगों में जमा निकोटिन चुनकर
दिल की राख मिलता हूं
फिर यादों को सुनहरी पन्नी में लपेट
अपने जिगर से सुलगाता हूं
तुम्हारी की गई बेवफाई के धुएं से, गम के दायरे बनाता हूं
और फिर फिज़ा में उड़ाता हूं
खुद भी सुलगता हूं , जमाने को भी जलाता हूं
पल पल खुद को राख बनाकर , तुम्हारा गम भुलाता हूं ।
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शायद,
मैं चाहूं भी तो वो अल्फाज़ न लिख पाऊं,
की,
जिसमें बयां हो जाए की कितनी मोहब्बत है तुमसे ।-
"What's real heartbreak?"
"When you watch your close person change daily and you say nothing because you are too hurt to even argue and fight with them."-
जहां लोगो के घमंड बड़े हो जाते हैं
वहां रिश्ते अक्सर टूट ही जाते हैं ।
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किसी ने कभी
रोना थोड़ी ना चाहा था,
बस, एक वजह के आगे
सबको झुकना पड़ा ।-
उस परिंदे के सबसे बड़े दीवाने ने ही ,
उसे अपने पिंजरे में कैद कर रखा था
और एक दिन !
जब उसने उसे उड़ाया
तो अफसोस, उसे उड़ना ही नहीं आता था ।
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अर्ज किया है,
दिल ने सोचा था कि उसे टूट के चाहेंगे,
दिल ने सोचा था की उसे टूट के चाहेंगे
सच मानो तो
टूटे भी बहुत है और चाहा भी बहुत है।-
वो लम्हें
बहुत से अल्फाज़ हैं,
जो कहना चाहते है हम,
पर अपनी खामोशी को भी,
बरकरार रखना चाहते हैं हम
पता है , बेवकूफ हूं !
मुमकिन है नहीं पर...
तुम्हारे साथ बिताए ,
हर लम्हें को
फिर से जीना चाहते है हम ।
वो लम्हें भी कितने अजीब होते हैं,
एक पल तो बहुत हसीन,
दूसरे ही पल,
खुशी से कोसो दूर होते हैं ।
और,इन लम्हों ने ऐसे ऐसे ख्वाब बना दिए मेरे लिए
जो अब मुझे ताउम्र सोने नही देगा ।
अगर चाहूं भी मैं जीना इसे हकीकत बनाकर
तो पता है मुझे, और यकीन भी है
मेरा किस्मत कभी ऐसा होने नही देगा ।
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