24 MAR 2018 AT 12:06

वतन से लगाव कीमती, तब भी, अब भी।
सत्य-निष्ठा की कम गिनती, तब भी, अब भी।
लुटेरों थे तब विदेशी, यह हम ने शुना है,
पर, फिर तो देशवासियों में से सेवक चुना है,
अब तो देश न लुटो प्रभुओं, कृपया, विनती।

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- BISWAJIT Mukhopadhyay