biswadeep choudhury   (Lazy लेखक)
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From Kolkata
Writer after sunset
Joined 23 May 2020


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11 JUL 2021 AT 10:33

থাকবে পাশে চিরদিন,
এইটাই তোমার commitment
কিন্তু বুঝিনি হয়েযাবে সব একদিন সুধুই ধুলো জমা এক agreement
আজ দাড়িয়ে আছি আমরা দুজনে মুখোমুখি
করতে ডিভোর্স এ settlement।

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5 JAN 2022 AT 18:11

दिल के यह अरमान अच्छी लगी
मुझे बीता हर वक्त अच्छी लगी
अब नही गम किसी का
मुझे तो वो अनजाने में हाथो की स्पर्श अच्छी लगी
निहार ने दो किसिकोभी उनको रात भर
मुझे तो हमारी आखरी मुलाकात अच्छी लगी।

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11 DEC 2021 AT 10:38

उम्रभर उनके तस्वीर को हमसफर बनाए हम चले
उम्रभर कल्पना में उनके हम हो चले
आज अचानक से मिले वो और पूछा मुझसे हालचाल
हम तो उसी मोड़ में खड़े जिस पर से तुम छोड़ चले।

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8 DEC 2021 AT 20:33

सुनके एक महफिल में उनके आशिक ने कहा
कमाल का लिखते हो,इतना गम कहां से लाते हो
जवाब में मैने मुस्कुराते एक शायरी दे मारी
उनका चेहरा ढुंडा लाखो चेहरों में
आखिर वो मिली पेहेरा में
पेहेरा शक्त है,
पर दुख का अजीब सा फेरा निकला
पेहेरेदार भी मेरा शायरी का दीवाना निकला।

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16 NOV 2021 AT 8:42

ভুলিকিকরে আমি সেইদিন তা
ফিরে গেছিলে জবে তুমি মাস টা ছিল সেপ্টেম্বর।
অক্টোবর আস্তে আস্তে ছিল আসা ,
দিয়েছিলে ফেরার ভর্সা
পুজো এলো, দিওয়ালি ও চলে গেলো
জখুন জানলাম সব মিথ্যে ,মাস টা পড়লো নভেম্বর
আজ আছি আমি ,বেছে আছি নেই কোনো মিথ্যে প্রতিশ্রুতি
আছে শুধু মনে তোমার ভালো স্মৃতি।

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11 NOV 2021 AT 10:49

দেখা করতে চাই একবার
অনেক হয়েছে খেলা রাগের অনুরাগে
আজ মৃত্যুশয্যা এ শুয়ে মনেপড়ছে সব বারবার
ভুল এর হিসেব চাইনা করতে ,চাই না দিতে কোনো দোষ
একটা মেসেজ এর জন্য চায়েথেকেছি রোজ
আজ নেই কোনো অভিযোগ আছে সব সুখ
বেশ চিতার ওঠা আগে দেখেতে চাই একবার তোমার মুখ।

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6 NOV 2021 AT 0:06

यू तो हमेशा ही तेरी याद साथ रहेगी
पर अब मेरी यादों से बात हो गई है,यह मुझे थोड़ा कम सताएगी
जान रहा हु दर्द में है तू, परिस्थिति है विपरीत
यह हसी का मुखौटा लगाकर कब तक सबको धोखे में रखोगी।

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2 NOV 2021 AT 8:01

लोग सायद पागल बोले पर आज कल अजीब दिखता है मुझे
अखेले जब रहता हु तब बगल में बैठा पाता हु तुझे
घंटो बाते करते है हम , हस रो दोनो लेते हम
नही नींद में नहीं खुली आंखों से यह सपना दिखता है मुझे।

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1 NOV 2021 AT 19:16

अब तो तुझे जाड़ा अपना तेरा यह दर्द लगने लगा है
है यह दर्द पर तुझे जाड़ा वफादार लगने लगा है
तुझे अलग यह दर्द अब सालो से मेरे साथ रहने लगा है
तुझे जाड़ा यह दर्द मेरे बारे में जानने लगा है।

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31 OCT 2021 AT 12:16

तुम्हारी मजबूरी को समझ रहा हु में
पर तुम मेरी एक आखरी अर्जी मानोगी क्या
एक आखरी बार मुझसे मिलोगी क्या
जी भर के देख लेना चाहता हु तुमको
नजरो से ही बांध लेना चाहता हु तुमको
रूहानी इश्क करूंगा तुमसे उमर भर
पर आखरी बार तुम्हारा हाथ चूमना चाहता हु
तुम मेरी एक अर्जी मानोगी क्या
एक आखरी बार मुझसे मिलोगी क्या
क्या वो सपना था या यह
सपना और हकीकत के बीच अंतर बताओगी क्या
आखरी बार तुम्हारा नाम तुम्हारे सामने बार बार लेने दोगी ना
एक आखरी बार मुझसे मिलोगी क्या
प्यार है तुमसे बहुत बार तुम्हे बताया है
मेरे तसली के लिए सही तुम भी एकबार बोलदोगी क्या
दिल के जिस कोने में बसाया है उन्हे
मुझे एक बार के लिए ही बसा पाओगी क्या
एक आखरी बार मुझसे मिलोगी क्या
पर उम्मीद नहीं छोड़ी है मैंने
तेरे साथ रहने का अभी भी आस लगाए है मैंने
अपनी मजबूरी को काट के आपाओगी क्या
क्या मुझे धरती में जन्नत का एहसास फिर दे पाओगी क्या।
मन में तुम उमर भर रहोगी इतना वादा है
हु में कही भी तुम ही मेरा इरादा है
अगर बरसो बाद तुम्हे खाते वक्त हिचकी आती हो
तो इतना जान लेना याद में मेरी में तुम ही हो

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