Bishakha Saxena   (©Bishakha Saxena ✍️)
1.2k Followers · 131 Following

Joined 1 March 2020


Joined 1 March 2020
25 APR AT 21:44

दिल का तौफ़ा अगर हो तुम्हें कबूल,
तो तेरे प्यार मे यह बंदा बन जाएगा मकबूल।।

-


25 APR AT 17:01

मुस्कुरा ऐ ज़िंदगी, ख़ामोशी तोड़कर,
बंद पिंजरे के एहसास को ख़ुद से जोड़कर..!!

-


24 APR AT 23:17

कितना सुकून मिलता है तेरे पनाहों में,
दिल का धड़कन रूक जाता तेरे बाहों में।।

-


24 APR AT 23:15

अपने बाँहों के बंधन में बाँधकर,
तुम्हारे सिंदूरी माथे को चूम लूं॥
इस दुनिया के क्षितिज के पार,
धड़कनो के मधुर लहरी पर झूम लूं॥

लवो पर जो बात आकर रुक जाती है,
तेरे झोली में शबनम की बूंदें भर दूं॥
चूमकर तेरे गालों को प्यार से जानम,
मन की आकुलता में प्रेम रस भर दूं॥

तेरी भींगी लटो से ख़ुद को उलझाकर,
प्रणय गीत की सुमधुर तान छेड़ दूं॥
अक्षर अक्षर में तुझे सजा कर के,
पन्नों पर ग़ज़ल, नज़्म की प्राण घेर दूं॥

तेरे आंचल के सहारे जीवन पर्यन्त,
कल्पनाओं के हसीन सितारे टांक दूं।
बोसा तेरे अधरों का लेकर के सनम,
इस जन्म मरण को सफ़ल कर दूं॥

-


23 APR AT 18:29

अलस भरे अंगड़ाई से, नींद में ही शोर हुआ,
चूड़ियों की छनछन में, पनघट पर भोर हुआ॥
गांव के पगडंडी पर चलना कभी न भूले,
पेड़ो के झुरमुट से, आते धूप का होड़ हुआ॥

पाज़ेब के बजने से, मन का आस विभोर हुआ,
चूड़ियों की खनक में, शांति भी सिरमौर हुआ॥
चंचलता सजीव चित्रण-सा बनके बिखर गया,
खामोशी की आहट से, जीवन भी सराबोर हुआ॥

सूर्य की आभा से, प्रकाशमय चहुँओर हुआ,
सतरंगी चूड़ियों में, हृदय भी चित्तचोर हुआ॥
प्रेम की गलियाँ बुलाती है विस्मय होकर,
राहत के मिलने से, सनसनी का ही ठोर हुआ॥

-


22 APR AT 21:39

जब तलक जिंदा कलम है हम तुम्हें मरने न देंगे,
ज़िंदगी के राह पर तुम्हें कांटो में फिसलने न देंगे॥
खामोशी अख्तियार कितना भी कर लो अंदर,
तुम्हारे वजूद को कभी भी हम मिटने न देंगे॥

जीने की हर चाह को तुम्हारे पास लेकर आएंगे,
अरमानों के दीपक को कभी भी बुझने न देंगे॥
शांति का मशाल जलाकर हर दिशाओं में,
अभिलाषाओ का स्वर्णिम वर्ष डूबने न देंगे॥

तुम्हारे हिस्से का आंसू भी हम बहा लेंगे,
तुम्हे ज़िंदगी के राहों पर कभी तड़पने न देंगे।।
खुशियों का चादर बिछाकर तेरे दरमिया,
अरमानों का शोर कभी भी रुकने न देंगे।।

-


22 APR AT 15:41

मैं प्रेम हूं तुम्हारा
+*+*+*+*+*

मैं प्रेम हूं तुम्हारा दिलों जान से चाहो,
नजर में भरकर ईमान से चाहो।।
विश्वास का तमगा लगाकर उसको,
मन में उठते हर अरमान से चाहो।।

बिना किसी मतभेद के अविरल बहो,
प्रेम के अथाह सागर में उतरकर चाहो।।
हर सवाल का जवाब मत ढूढते रहो,
तरंग गति के तरह बिखरकर चाहो।।

अनुचित, अनैतिक के बोझ से दूर होकर,
निर्मलता के आधार पर समर्पण भाव से चाहो।।
मृदुलता में डूबकर हर परत को समझकर,
एहसास के सागर में उतरकर तन, मन से चाहो।।

-


22 APR AT 15:28

थामकर हाथ तेरा दुनिया आजमाने चल पड़े,
रास्तों के कठोर आजमाईश को निभाने चल पड़े।।

-


15 APR AT 19:45

बदलते मौसम का तो यही तकाजा है,
ये ज़िन्दगी जीने के लिए ख़ुद से ही,
खामोशी के साथ राब्ता-ए-इख्तियार अच्छा है।

लोग मिलेंगे, बिछ्ड़ेगे और दूर हो जाएंगे,
कितने रिश्तों का कोई मोल नहीं होगा,
इसलिए ख़ुद को यह दिलासा देना अच्छा है।

ख्वाहिशों की होड़ में मौसम भी बदल जाते,
कितनों एहसासों के मतलब भी बदल जाते,
बदलते मौसम जैसा ख़ुद को संभालना अच्छा है।

मौसम का मिज़ाज भांपते हुए भी खिल जाते,
शाखाओं से मचल-मचल कर पत्ते झड़ जाते,
कभी मौसम के बिना भी मुस्कुराना अच्छा है।

-


15 APR AT 19:41

कांधे को थामकर संसार का हर सुख मिल जाता है,
ज़िंदगी हसीन लगती और दुनिया से रुख मुड़ जाता है।

-


Fetching Bishakha Saxena Quotes