एक वादें पे ही पूरी ज़िंदगी लुटा दी हमने
किसी रोज़ किसीने चाय पी मिलने का वादा किया था ।-
शाम से इंतेज़ार था
ए याद तुम अब आयी हो
चाय पे मिलने की बात थी
तुम अब सपनो में आई हो।
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हमारी कहानी कुछ इस तरह सी हैं
की बिन मांगे ही तुम उसे हासिल हो
और हम हर दुआ मैं तुम्हे ही मांग रहे हैं ।-
ज़माने का रिवाज है जानी
टूटे रिश्तो की डोर
अक्सर अल्फाज़ो से बंध जाती हैं ।-
हर चाय की घूँट में भूला रहा हूँ तुम्हे
कमबख़्त उठता हर धुंआ तेरी ही तस्वीर बना रहा हैं ।-
ये बीती यादों का बवंडर है जनाब
कितने भी मशरूफ क्यों न हो
साथ उड़ा ही जाता हैं ।-
रोते हुए तुम कभी हमे पा ना सकोगे
तुम मेरे तो हो पर अफसोस कभी अपना न सकोगे
मैं तुम्हारा हूँ ये सच तो मेरी रूह तक जाने
पर अफसोस इस रूह मैं तुम कभी समा ना सकोगे
हाँ मैं तो बस तुमसे मोहोबत करता रहूंगा
पर अफसोस इस चाहत मैं तुम कभी मुझे चाह ना सकोगे
मेरी इबादत के हर लम्हे मैं तुम हो
पर अफसोस तुम मुझे अपनी दुआ कभी बना ना सकोगे ।-
अब तो ये खामोशी भी अच्छी लगने लगी है जनाब
सवाल तो हज़ार करती है
पर जवाब की कभी ज़िद नही करती ।-
हम तो ऐसे ही है जनाब
माज़ी को साथ ले मुश्तक़बिल की तलाश में निकलने वाले ।-
अर्षो बाद तुम्हारी याद आयी हैं
आएगी ही ना
सामने समंदर की लहर जो आयी हैं ।-