Birju Ravalia   (Birju Writes)
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Joined 19 September 2019


Joined 19 September 2019
25 DEC 2022 AT 14:52

एक वादें पे ही पूरी ज़िंदगी लुटा दी हमने
किसी रोज़ किसीने चाय पी मिलने का वादा किया था ।

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11 DEC 2022 AT 8:31

शाम से इंतेज़ार था
ए याद तुम अब आयी हो
चाय पे मिलने की बात थी
तुम अब सपनो में आई हो।

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15 JAN 2022 AT 11:34

हमारी कहानी कुछ इस तरह सी हैं
की बिन मांगे ही तुम उसे हासिल हो
और हम हर दुआ मैं तुम्हे ही मांग रहे हैं ।

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29 DEC 2021 AT 21:48

ज़माने का रिवाज है जानी
टूटे रिश्तो की डोर
अक्सर अल्फाज़ो से बंध जाती हैं ।

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25 DEC 2021 AT 18:40

हर चाय की घूँट में भूला रहा हूँ तुम्हे
कमबख़्त उठता हर धुंआ तेरी ही तस्वीर बना रहा हैं ।

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21 DEC 2021 AT 6:53

ये बीती यादों का बवंडर है जनाब
कितने भी मशरूफ क्यों न हो
साथ उड़ा ही जाता हैं ।

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10 NOV 2021 AT 11:00

रोते हुए तुम कभी हमे पा ना सकोगे
तुम मेरे तो हो पर अफसोस कभी अपना न सकोगे
मैं तुम्हारा हूँ ये सच तो मेरी रूह तक जाने
पर अफसोस इस रूह मैं तुम कभी समा ना सकोगे
हाँ मैं तो बस तुमसे मोहोबत करता रहूंगा
पर अफसोस इस चाहत मैं तुम कभी मुझे चाह ना सकोगे
मेरी इबादत के हर लम्हे मैं तुम हो
पर अफसोस तुम मुझे अपनी दुआ कभी बना ना सकोगे ।

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9 OCT 2021 AT 21:45

अब तो ये खामोशी भी अच्छी लगने लगी है जनाब
सवाल तो हज़ार करती है
पर जवाब की कभी ज़िद नही करती ।

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4 SEP 2021 AT 18:04

हम तो ऐसे ही है जनाब
माज़ी को साथ ले मुश्तक़बिल की तलाश में निकलने वाले ।

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1 SEP 2021 AT 20:03

अर्षो बाद तुम्हारी याद आयी हैं
आएगी ही ना
सामने समंदर की लहर जो आयी हैं ।

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