मिलोगे कभी तो ... !! बताएंगे सब....!!
बहुत कुछ छीना है...!! तुम ने....!!
कहकशा चांद तारे....!! वही है सब....!!
ख्वाहिशों को मेरे...!! ग्रहण लगा है...!!
लोगों से मिलते तो हैं....!! पर दिल मिलते नहीं है अब....!!
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तुम्हें ...!! गुलाबो की तरह रखा हूं ...!!
हा मैं काटा हूं...!! विडंबना ऐ देखो....!!
तुम्हें बचाता हूं ....!! और चुभ जाता हूं...!!-
रुखसत हुए हैं हम से....!!
नजदीक दिल के रहकर...!!
प्रेम है अमृत प्रेम है पीड़ा....!!
ये समझोगे प्रेम में रहकर....!!-
सावन खत्म हुआ....!
हृदय को तुम से मिलना है....!
आंखों ने तुम्हें बुलाया है...!
तुम नंगे पांव चले आना...!
एक पायल मैं लाया हूं....!
पहनाकर घर तुझे ले जाना है....!-
साइंस ने तरक्की की है....!!
आज लोग बीमारी से नहीं....!!
इंतजार से मार रहे हैं....!!
कमर्शियल जमाना है...!!
सब को सब चाहिए....!!
कहां कोई प्यार कर रहा है...!!
हो सके तो... दवाई की सीसीये में... प्यार भर कर बेचो...-
सोने नहीं देता है...!!
भूल नहीं पाने का डर...!!
बेचैनी में सोते देखा है...!!
जिनका है सोने का घर...!!
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ख्वाब पूरे होते होते ....!!
खत्म कहानी देखा है....!!
इश्क हुआ तो इश्क में ....!!
हम ने खामी देखा है....!!
पुरा शहर दोस्त था मेरा....!!
दुश्मन को बढ़ते देखा है...!!
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इश्क नहीं है....!!
हम को तुम से....!!
तो क्यों...?
तुम से छल कपट...!!
मैं पाप करूं....!!
काशी वृंदावन जाकर....!!
क्यों ना....?
मैं पश्चाताप करूं....!!-
हम बहुत कुछ जीत गए हैं...!!
पर पहले जैसी बात नहीं है....!!
त्योहार तो अभी आते हैं.....!!
पर अब ...!!
वो बचपन वाली बात नहीं है ....!!-
धागे उम्र भर का विश्वास है....!!
आज भाई बहन के साथ है.....!!
एक डोर जो हरदम साथ है...!!
रक्षाबंधन की हार्दिक...!! शुभकामनाएं और बधाइयां....!!-