BIPIN TIWARI 'MASOOM'   ('मासूम')
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(The poet, writer)
शब्द मुझे और शब्दों को मैं बुनता हूँ
दिल मेरा और मैं दिल की सुनता हूँ ।
Joined 17 February 2019


(The poet, writer)
शब्द मुझे और शब्दों को मैं बुनता हूँ
दिल मेरा और मैं दिल की सुनता हूँ ।
Joined 17 February 2019
1 MAY 2023 AT 20:27

किसी के जाने से कोई फ़र्क नहीं है
दिल का टूटना कुछ नया तो नहीं है

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24 APR 2023 AT 22:14

हमने तो अपने ग़म का तस्वीर बना दिया
और ज़माने ने हमको सुख़नवर बना दिया

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24 MAR 2023 AT 20:08

आज फ़लक का कितना खुबसुरत नज़ारा है
देखो चाँद से मिलने आया कोई सितारा है

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23 MAR 2023 AT 10:24

हर जवां धड़कन के अंदर तेरा ज़ुनून मिला है
हिन्दुस्तान की मिट्टी में तेरा भी ख़ून मिला है..

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12 MAR 2023 AT 12:30

होंठों पर रख कर मुस्कान
वो रुठे-रुठे लगते है।

बात तो सच ही कहते है
पर झूठे-झूठे लगते है।

बाहर से तो जुड़े हुए हैं
अंदर से टूटे-टूटे लगते है।

मुकम्मल है 'मासूम' तेरी कहानी
फिर भी कुछ छुटे-छुटे लगते है।






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9 MAR 2023 AT 10:50

कुछ ख्व़ाबों को मुकम्मल करने के लिए
गिरवी रख दिया है अपनी नींद को मैंने..

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24 FEB 2023 AT 22:37

क़त्ल हो गया मेरे उसूलों का
मैं खड़ा रहा तमाशाई बनकर

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19 FEB 2023 AT 15:01

मेरी बेटी
और मेरी
लिखी कविता
दोनों एक साथ
बड़ी हो रही है।

बेटी बड़ी होकर
किसी और के
घर जायेगी,
कविता डायरी में
पड़ी धूल खायेगी।

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14 FEB 2023 AT 20:32

टूट कर बिखर जाना चाहता हूँ
काश मैं भी कोई शीशा होता...

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11 FEB 2023 AT 22:28

कभी मुश्किल तो कभी आसान करती है
ज़िन्दगी तु सबको बहुत हैरान करती है

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