मैं तुम्हें कैसे बताऊँ दीदी
तुम मेरे लिए क्या हो
बोलने के लिए अल्फाज़ कम है
और लिखने के लिए कागज़
तुम मेरे दिल के सबसे पास हो
'राजकुमारी दीदी' तुम मेरे लिए सबसे खास हो
हाथों की लकीरों की तरह
तुम हमेशा मुझसे जुड़ी होती हो
मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो
हमेशा मेरे साथ होती हो
मेरी ख्वाहिश कभी नहीं टालती
कभी अपनी ही जिद पर अड़ी रहती हो
जब तुम गुस्से में भी मुस्कुराती हो
तो लगता है
खुदा की सबसे प्यारी बनावट बहन ही तो होती हैं
दीदी, सब कुछ न्योछावर कर दूँ
तुम्हारी एक हँसी के लिए
मेरी खुशियों भरे आँखों का राज हो
दुनियां में मेरे लिए तुम बेहद कीमती एहसास हो
तुम्हारी मुस्कान से ही
मेरी दिन और रात ढ़लती हैं
तुम्हे देखकर मेरी सांसे चलती है
मेरी लवों पर तुम्हारी ही बाते रहती हैं
तुम्हें कैसे बताऊँ दीदी
तुम मेरे लिए क्या हो।
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