सुबह जल्दी उठना सीखायेगा कौन ?
बात बात पर कहानी अब सुनाएगा कौन?
दुनिया दारी कैसें चलती ये समझायेगा कौन?
आप की कमी अब भर पाएंगे कौन?
वक़्त से पहले हमे जिम्मेदार क्यो बना कर चली गई मम्मी जी😪।
आप थी तो शान था।
घर के हर ईटों में जान था।
सब के चेहरो पर मुसकान था।
सब को रोता छोड़ क्यो चली गईं मम्मी जी😭।
सफर ये अधूरा छोड़ क्यो चली गईं मम्मी जी😭😭।
हर जगह अब आपकी याद आएगी।
आप के साथ बीते लम्हों को कैसें भूल पाएंगे।
बड़ा दुःख है कि श्रद्धा के दो सुमन भी ना चढ़ा पाएंगे।
शोक से व्याकुल हम दो शब्दो से श्रद्धांजली देना चाहेंगेl
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गम तो है बहुत पर अब बयान करना नहीं आता ।
दर्द तो छुपा लेती पर अब घुट घुट कर जीना नहीं आता ।।
ख्याल तो हर पल है तेरा पर अब मुझे तुम पर प्यार नहीं आता।।-
बहुत कशिश था तेरी मुहब्बत में,
मैं आज भी भटक रही तेरे सोहबत में!-
मेरे पापा
माँ सुबह तो पापा उस सुबह के सुर्य होते है
माँ धरती तो पिता आसमान होते है
हर रिश्ता निभाने में है वो अवल
रात को रोज सब के सो जाने पर अपने बच्चों का ठीक करने आते है वो कंबल
बिन बताये सब दे जाना अपने हिस्से का खाना अपने बच्चों को खिलाना
हर जमींदारी को बखूबी निभाना
हर कठिनाई के बाद व मुस्कुरा
माँ के बीमार होने पर हमें मोटी मोटी रोटी बना कर खिलाना
तब तो नहीं पर अब मेरे आपने पापा के महानता को पहचाना
करनी कर दरिया में डाल,ये सब उन से सीखी मैंने अपने पापा को जाना
दिल में प्यार भरे होने के बाद भी किसी को कभी ना दिखाना
कैसे कर लेते हो आप पापा
दिल के टुकड़े को दिल के बात ना बताना
माँ के ओट में छिप कर हम पर प्यार लूटाना
फादर्स डे, मदर्स डे मै नही जानती
पर आपसे प्यार जताने का मौका कभी गवाना नहीं चाहती
खुदा मेरे कभी इच्छा पूछे तो मै हर जन्म में बेटी बन आपके घर ही आना चाहती।।-
माँ धरती तो पिता आसमान होता है।
माँ जो सारी रात जागे तो पिता भी कहा सोता है।।-
बहुत अर्से बाद आज मेरे आइना देखा।
मिटा नही पा रही तेरे जुल्मो की रेखा।।-
मेरे दिल को आज फिर किसी ने पुकारा।
ऐसा लगा जैसे मिल गए दो नदी का किनारा।
मुझे पसंद है उनका किया हर इशारा।
मुझे खबर नही कब मिलेगा तेरा सहारा।
राते गिन गिन है हर लम्हा गुजारा।
चलो फिर मिल कर देखे वो चाँद का इशारा।।
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तुम से मिलने को जी चाहता है,
एक बार फिर तेरे बातो मे खो जाने का जी चाहता है।
उम्मीद है कि तुम भी येही चाहते होगे,
क्योंकि आज भी तेरे नाम से मेरा दिल धङक जाता है।-
इश्क को इतना भी बेकाबू ना होने दो।
की तुम घुट घुट के जीते रहो,
और उन पर असर भी ना हो।।-