लौटा जो मैं सजा काट के बिना जुर्म की
घर आके सारे परिंदे रिहा किये पिंजरे से....!!-
किसी को नफरत है मुझसे
और कोई प्यार कर बैठा है,
किसी को यकीन नहीं मेरा
और कोई ऐतबार कर बैठा!-
आगोश में तुझको
बिखराऊं कुछ इस तरह ..
जैसे..
सुहाग सेज पे बिखरे
गुलाब की पंखुड़ियां कोई..
चूमूं जो लब तेरे
लगे मय भी फीका हो जैसे कोई
करूं मिलन का आलिंगन
तुझ संग ...
ढल जाऊ तुझमें
कुछ इस तरह..
जैसे.
नदी सागर की बाहों में कोई
।।
तू मुझ में, मैं तुझ में घुल जाए इस कदर
दूध में जैसे केसर कोई 🥰-
तेरे ख्वाब में जब भी होता हूं तो,
तो महसूस होता है,
जैसे सर्दी में धूप दमके..!
तेरा मुस्कुराना जैसे,
अधखिला गुलाब चमके..!
तेरे अंदाज और,
रूप का कायल हूं मैं..!
तेरी बातें सहेजे,
बेनाम सा शायर हूं मैं..!-
दिल्लगी थी या दिल की लगी,
ये कहाँ समझ पाए तुम .....
होठों की मुस्कराहटें देखीं,
आँखों की नमी कहाँ पढ़ पाए तुम......!!
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आजकल मैं खुद में उलझ गया हूँ,
और उसे लगता है मैं बदल गया हूँ,
अगर ढंग से बात करू तो समझ नही आता,
न करू तो इल्जाम के बदल गया हूँ ।।
अकेले में बंद कमरों में करता हूँ सवाल खुद से,
कभी कभी लगता है में ज्यादा सोचने लगा हूँ ।।
गलत क्या सही क्या मालूम नही अब,
बस खुद के विश्वास पर डगमगाने लगा हूँ ।।
पहले बेवजह बोल देता था कुछ भी,
अब तो वजह से भी खामोश होने लगा हूँ ।।
मैने खुद में समा लिया है उसको लहू के जैसे,
उसे लगता है जैसे भुलाने लगा हूँ उसे में ।।
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अजीब हालात होते हैं मोहब्बत में दिल के,
उदास जब भी यार हो कसूर अपना लगता हे ।।-
सब कुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी,
सच है दुनियावालों के हम है अनाड़ी ।।-
गये थे हम हकीम के पास,
दिल मे दर्द है,कोई उपाय बताये,
बोला ख्वाइशों से दूर औऱ,
उम्मीदों से परहेज़ रखा जाए ।
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न कोई शिकवा तुझसे,
न कोई शिकायत मेरी जान,
बस खुश रह, खुश रह मेरी जान ।।
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