आंख का बर्तन तो सदा ही भरा पाया है।
ये वो दरख़्त है जो हर वक़्त हरा पाया है।
मैं ख़ुद को सोना तो नहीं कहता लेकिन!
जिस जिसने भी परखा है खरा पाया है।
(बिलाल अली)-
(Medical Student 💉💊)
I can heal your heart or steal your heart😎
उसकी रंगत फसली गुलाब जैसी है।
वो लड़की असली गुलाब जैसी है।
(बिलाल अली)-
सुकून भी जाता रहा, और क़रार रहा ही नहीं।
भरोसा उठ गया साहब ऐतबार रहा ही नहीं।
उसने एक बार कहा था बोहोत बुरे हो तुम!
सो हमने ख़ुद को अच्छा कभी कहा ही नहीं।
(बिलाल अली)-
करी हैं मिन्नतें हमनें दुआओं से हैं, घर बांधे।
निकल आए मुरादों को लिए, अहदे सफ़र बांधे।
नज़ाक़त ख़त्म है उनपर, हुआ है दर्द ए सर पैदा!
ज़रा माथे को क्या चूमा, पड़े हैं कल से सर बांधे।
(बिलाल अली)-
मुक़ाबले पे जब अपने यार आए।
हम जीती हुई बाज़ी को हार आए।
बात अना पे आ गई थी दोस्त!
सो हम मुहब्बत मुँह पे मार आए।
(बिलाल अली)-
ये बात कब महज़ जौर-ओ-जफ़ा की थी।
मुहब्बत एक दफ़ा, अदावत सौ दफ़ा की थी।
मेरी याद-दाश्त कमज़ोर है मुझे याद दिलाओ!
वो एक लम्हा जब तुमने मुझसे वफ़ा की थी।
(बिलाल अली)-
तलफ़्फ़ुज़ में एन, काफ़, शीन लड़का था।
पुरएत्माद था बोहोत ही ज़हीन लड़का था।
तुम्हारे हिज्र ने हालत बिगाड़ दी वरना!
मैं अपने शहर का सबसे हसीन लड़का था।
(बिलाल अली)-
मैं तुझसे कितनी मुहब्बत कर सकता हूँ.?
तू इशारा कर तेरी बाहों में मर सकता हूँ।
तुझे पाने की चाहत ही इस क़दर है !
सिर्फ़ तुझे खोने के ख़्याल से डर सकता हूँ।
(बिलाल अली)-
आज की रात ख़ुदा सबकी सुनता है।
आज की रात ही हम मांगेंगे तुम्हे।
(बिलाल अली)-
वो अब इस शिद्दत से मुहब्बत निभाने लगे।
तमाम गुमान मैदान छोड़कर जाने लगे।
उस वक़्त तक तुझे अपने सीने से लगाना है!
कि तेरे जिस्म की ख़ुशबू मेरे जिस्म से आने लगे।
(बिलाल अली)-