जब परज्वलित हो कामयाब कि दीप तुम्हारा तब अधकार भी शर्मा कर लुप्त हो जाय
औरो से गिला क्या करना जब लक्षय पर हो तीर तुम्हारा-
अभी रहने दो बरसात हो जाएगी
आओ कभी तुम मुझसे मिलने किसी बिरयानी शाम को l
सासे थाम कर नज़रे मिला कर
सावन की बरसात में हम तुम चाय पर ll-
किसी के इशारों में आ गई हम धोखे में आ गए
परदेश क्या बदला पराऐ में आ गई
शहर क्या बदला जैसा रग रूप ही बदल गया
धूप से छा क्या हुआ रिश्ते महफ़िल का मेहमान हो गया
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शब्दों की ख़ूबसूरती तब और निखर जाती है जब कोई अपनो सा सुने तब शब्द जुबा नही निगाहें कहती है
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गैर तो गैर है आज कल तो लोग अपनो से भी बैर रखते हैं संजोने की बात पूछते हो जिसे रिस्तो का र मालूम ना हो उससे त पूछते हो
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जिंदगी जीने के लिए दो पल साथ चाहिए, थोरा मीठा, थोड़ा खट्टा स्वभाव चाहिए, चल परु जिस पथ पर उस पथ पर तेरे साथ चाहिए, जिंदगी में थोड़ा साथ चाहिए खुशी हो या गम हो बस एक साथ चाहिए बस तेरा साथ चाहिए
🙏🙏जय श्री कृष्णा 🙏🙏-
झुकी निगाहें इनमी कोई राज है पास आकार देखो शर्म से लाल है बेताब मन इकरार है जैसे बेमौत का सामने सैलाब है
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शाम होते ही याद आती है वो पुराने घर पुराने लोग
बचपन बीता जहाँ लडकपन गुजरा जहाँ याद आती है वो पुराने शाम दर्द दे कर दर्द बाटना सिखा जहाँ छोटी छोटी बातो में हसना रोना सीख जहाँ दूर होने का अहसास जिसने सिखाया दूर हुआ आज से मैं-
छुप छूप कर रोया करते है
ना जाने क्यू उसके यादो में खोया खोया रहते है
याद तो हर वक्त आती है पर कामवक्त कभी हाथ न आती है
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खाकर झूठी कसम तुम मुझे बीमार कर दिया
नजर से क्या दूर हुए हम अंजान हो गए-