अब तक छुपा रहा था मैं, दिल की गहराइयों में अपने,
खुद की आवाज से दूर, खुद के साये में बंधे।
भावों की गहराई में, अनकहे शब्दों का संसार,
अब तक छुपा रहा था मैं, खुद से ही बेखबर, बेकरार।
अश्कों की चुपचाप धारा, मुस्कान के पीछे छिपा,
कितने अनसुलझे सवाल, अब तक छुपा रहा था मैं, जिन्हें बिना जवाब दिया।
ख्वाबों की दुनिया में खोया, हकीकत से मुंह मोड़,
अब तक छुपा रहा था मैं, अपने आप को खोज।
अब नहीं रहना इस छाया में, तोड़ना है हर बंधन,
अब तक छुपा रहा था मैं, लेकिन अब बदलना है जीवन।
खुलकर सांस लेने का वक्त, खुद को जी भर के जीने का,
अब तक छुपा रहा था मैं, अब है खुद को पहचानने का।
चल पड़ा हूं इस सफर पर, खुद से मिलने का इरादा लिए,
अब तक छुपा रहा था मैं, पर अब खुद को खुलकर दिखाने की बारी है जिए।
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