Bijay Kumar  
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Joined 2 June 2019


Joined 2 June 2019
15 APR AT 9:46

After the blind person's eyes are graced with light,

It first throws away the stick that was once it's guide.

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11 APR AT 16:09


Are you struggling with money blockages, anxiety, long term debts and losses?

Don't work for Money, Make Money Work For you!!!

Join our Master Class for Money Reiki to create a healthier and more positive relationship with money, allowing individuals to experience greater financial freedom, abundance, and fulfillment in their lives.

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Date: 13th April 2024 (Saturday)
Time: 10 AM
Place: Rourkela Club, Rourkela

Remember, You attract what you fear!

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Infinite Love Academy (ILA)
(an ISO 9001:2015 certified Organisation)
Contact: +919040088494 / 8527746329

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11 APR AT 9:55

ନମସ୍କାର ବନ୍ଧୁଗଣ🙏,

ଚଳିତ ମାସ ୧୪ ତାରିଖ (ରବିବାର ) ସକାଳ ୯:୩୦ ଘଟିକା, ସେକ୍ଟର-୫, ରାଉରକେଲା ସ୍ଥିତ ଭଞ୍ଜଭବନ ଠାରେ "Infinite Love Academy (ILA)" ଦ୍ୱାରା ଆୟୋଜିତ ହେବାକୁଥିବା ସମୂହ ଚେତନା ସଶକ୍ତିକରଣ ଏବଂ ଆରୋଗ୍ୟ ଶକ୍ତିପାଥ କାର୍ଯକ୍ରମରେ ଯୋଗଦାନ କରି ସାଫଲ୍ୟ ମଣ୍ଡିତ କରିବା ହେବେ।🙏

ଅଂଶଗ୍ରହଣ ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ନିଶୁଳ୍କ (Free entry) ଏବଂ ସମସ୍ତ ବୟସ (୧୮-୬୦ ବର୍ଷ) ଓ ପୃଷ୍ଠଭୂମିର ବ୍ୟକ୍ତିଙ୍କ ପାଇଁ ଧାର୍ଯ୍ୟ।

କୃତଜ୍ଞତାର ସହିତ,
Team, Infinite Love Academy (ILA)
ମୋ: ୮୮୮୨୩୦୫୦୨୩ ( 8882305023 ) / ୯୦୪୦୦୮୮୪୯୪ (9040088494)

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11 APR AT 7:53

In the garden of dreams where wishes take flight,
You wishpered softly in the still of the night.
"I'll keep you", you vowed, with a wistful sigh,
"As my favourite incomplete wish, soaring high".

A beacon of hope, a fleaker of light.
In the tapestry of stars, shining bright.
You cradle me gently, in your heart's embrace,
A treasure untold, in the boundless space.

For in the realm of dreams, where fantasies bloom,
You've woven me in, like a delicate plume.
Though incomplete, i dance with delight,
In the echoes of your whispered promise, taking flight.

So hold me close, in your secret desires,
Where passion ignites and love never tires.
For I'll linger there, a fragment of bliss,
Forever cherished, your favourite incomplete wish.

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16 MAR AT 23:35

अजीब सा खालीपन लेके फिरता हूं अपने दिल में,
खोया हुआ, अधूरा, अनपढ़ हूं अपने अंदर में।

सोचता हूं, खोजता हूं, अपनी भावनाओं का रास्ता,
पर अनकही बातों को, हूं मैं सुनता।

एक अलग दुनिया, एक अनजान मंजिल,
हर रोज़ जैसे, नया ख्वाब, नया सफ़र।

खालीपन से भरी, मेरी तन्हाई की बातें,
कहीं खोया हुआ, कहीं खुदा हूं मैं सही मैं।

अपने ही अंदर, खोया हुआ, अपना अपना,
समझता हूं, बयां करता हूं, अपनी खुदाई।

अजीब सा खालीपन लेके फिरता हूं अपने दिल में,
खोया हुआ, अधूरा, अनपढ़ हूं अपने अंदर में।

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16 MAR AT 23:28

यूं ही साहिल पे आके रुक गए हैं कदम,
चलते चलते, राह में खो गए हैं हम।

सागर के किनारे पे, बैठे हैं चुपचाप,
सपनों की लहरों में, खोये हुए हैं हम।

साहिल पे आके, हर ख्वाब की दौड़ में,
रुक गए हैं हम, अपने सपनों की कहानी में।

जीवन की लहरों में, उलझे हुए,
धीरे-धीरे, मंजिल की ओर बढ़ते हुए।

साहिल पे आके, हर ख्वाब की दौड़ में,
रुक गए हैं हम, अपने सपनों की कहानी में।

हर एहसास की गहराई, हर ख्वाब की माया,
साहिल पे खड़े, रह गए हैं, अपनी तलाश में।

साहिल पे आके, हर ख्वाब की दौड़ में,
रुक गए हैं हम, अपने सपनों की कहानी में।

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15 MAR AT 9:19

बेगेरत खोया हूँ मैं, सड़कों की गहराइयों में,
अपने सपनों की धुंधली धुंध में, समय की धारा में।

बेगेरत खोजता हूँ, अपने असली रंगों को,
भूले हुए पलों को, खोये हुए ख्वाबों को।

धुंधला सा सफर, अजनबी राहों में,
समय के लहरों में, खोया हुआ मैं अपनी राहों में।

बेगेरत खोया हूँ, अपने आत्मा की खोज में,
स्वार्थ की बाधा से, दूर हटा हुआ मैं किनारों में।

गहरे सागर की तलाश में, चाहता हूँ मैं उस्ताद बनना,
ज्ञान के स्रोत की खोज में, पानी की बूँद की भावना।

बेगेरत खोजता हूँ, अपनी सच्चाई को,
वो अद्वितीय पल, जब मैं स्वयं से मिलता हूँ।

अजनबी राहों में, भटका हुआ मैं,
खोया हुआ अपनी पहचान में, अपनी असली ज़िन्दगी में।

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13 MAR AT 13:45

अब तक छुपा रहा था मैं, दिल की गहराइयों में अपने,
खुद की आवाज से दूर, खुद के साये में बंधे।

भावों की गहराई में, अनकहे शब्दों का संसार,
अब तक छुपा रहा था मैं, खुद से ही बेखबर, बेकरार।

अश्कों की चुपचाप धारा, मुस्कान के पीछे छिपा,
कितने अनसुलझे सवाल, अब तक छुपा रहा था मैं, जिन्हें बिना जवाब दिया।

ख्वाबों की दुनिया में खोया, हकीकत से मुंह मोड़,
अब तक छुपा रहा था मैं, अपने आप को खोज।

अब नहीं रहना इस छाया में, तोड़ना है हर बंधन,
अब तक छुपा रहा था मैं, लेकिन अब बदलना है जीवन।

खुलकर सांस लेने का वक्त, खुद को जी भर के जीने का,
अब तक छुपा रहा था मैं, अब है खुद को पहचानने का।

चल पड़ा हूं इस सफर पर, खुद से मिलने का इरादा लिए,
अब तक छुपा रहा था मैं, पर अब खुद को खुलकर दिखाने की बारी है जिए।

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13 MAR AT 9:32

कुछ अनसुलझे थे मेरे जज्बात, और मैं यूं ही बहक गया,
खुद को तलाशता रहा, हर पल में खुद से ही लड़ता रहा।

बीते लम्हों की यादों में, खोया रहा मैं बरसों तक,
कितने ही सवाल थे मन में, जिनके ना मिले जवाब कभी।

जज्बातों की इस भीड़ में, खुद को अकेला पाया मैं,
अपने ही साए से पूछता, क्या खोया, क्या पाया मैं?

कभी खुशियों की तलाश में, कभी गमों के साये में,
बहते चले गए जिंदगी के, उस बेनामी राहे में।

कभी सोचा ना था कि, ऐसे भी दिन आएंगे,
जहां खुद के जज्बातों से ही, खुद को बहकाना पड़ेगा।

लेकिन इस बहकावे में ही, कुछ सीखा मैंने भी,
जीवन की इस दौड़ में, हर कदम खुद को ठोकर खाकर सीखा मैंने।

अब जब भी याद आते हैं, वो अनसुलझे जज्बात,
मुस्कुरा देता हूँ मैं, सोच कर, कितना बहक गया था मैं।

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13 MAR AT 9:24

कुछ अनसुलझे थे मेरे जज्बात, और मैं यूं ही बहक गया,
खुद को खोजते-खोजते, मैं खुद से अनजान हो गया।

जीवन की उस धुंधली राह पर, मैं हर पल थक गया,
हर इरादे को हासिल करने की, खुद से मैं जूझता रहा।

सपनों की वो उड़ान, जो छूने की हो गई थी मेरी आस,
अनजान राहों में भटकते, मैं खुद को ही भूल गया।

हर उम्मीद की एक धार, जो बहती थी मेरे दिल में,
पर मैं हर दायरे में खुद को, खो बैठा था अपने ही साथ।

अनसुलझे थे मेरे जज्बात, और मैं यूं ही बहक गया,
पर इस बहकने में भी, मैंने खुद को ढूंढ़ लिया।

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