यूँ तो अब तू मेरे लिए जरुरी भी नहीं..
पर अगर तू मिल जाये तो किसी और की जरुरत भी नहीं..
तब मैं अपनी रुमाल से ही अपने आँसु पोंछ लेता था..
पर अब कोई रुलाये मुझको किसी की जुर्रत नहीं..
तब वो एक एक लम्हा चुरा के लाते थे मेरे लिए..
अब आसानी से कह देते हैं की हमें फुर्सत नहीं..
यूँ हर घड़ी हमें परखना बंद भी करो..
आखिर हम भी इंसान हैं कुदरत नहीं....
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