जब तलक थी आंखें
तो क्या देखा?
मैं देखा
हम देखा
या जहां देखा ?
~ बिबेक छेत्री-
reading poems and reciting them
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सवाल कई हैं उनके मन में ,
जवाब ढूंढ न पाते हैं ।
जो साथ मिलकर ढूंढे तो क्यों ना मिले ,
आप हमें अपने सवालात क्यों नहीं बताते हैं ।-
मोहब्बत-ए-जंग हमेशा हारा हूँ मैं ,
तेरी अदाओं का मारा, बेचारा हूँ मैं ।-
रोज किसी नए उलझन से उलझ रहा हूँ मैं ,
और
उन्हें लगता हैं कि सुलझ रहा हूं मैं।-
ना उसके लब कह सके ,
ना नयन ने कहाँ ।
हैं अभागा तेरा दिल ,
उसका चयन ना हुआ ।-
हालात बदल गए तो क्याँ?
बात वही हैं ,
मन में मेरे जज्बात वही हैं ।-
मन में मेरे , मन में तेरे, मन में सबके राम हैं ।
जो राम ना हो साथ तेरे अपूर्ण सारे काम हैं ।-
भीगी भीगी है पलके ,
आँखों में बस नमी है ।
जीवन की यह हलचल में ,
तेरी ही बस कमी है ।
यूंही न टूट जाऊँ , डर मुझको यह सताए ।
दुनिया हँसी ही देखे , आँसू न देख पाए।-
अभी बहुत लंबा है रास्ता ,
हताश क्यों होते हो ?
यह तो पहला पड़ाव था ,
हो गए विफल!
निराश क्यों होते हो ?-