Bhuvnesh Dhakad   (Bhuvnesh (अभिन्न))
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हिंदी and English Writing
Joined 27 July 2018


हिंदी and English Writing
Joined 27 July 2018
10 MAR 2023 AT 11:46

जो जीना नही सीख पाया वो 'अभिन्न' हैं,
जो इंतजार करता रहा वो 'अभिन्न' हैं,
बुलाने पर सब आये महफिल में, मगर
जो महफ़िल में नही आया वो 'अभिन्न' हैं,।

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9 MAR 2023 AT 18:37

जिन्दगी जीने के लिए क्या कुछ किया गया,
की लोगों ने जीना छोड़ दिया, जिन्दगी जीने के लिए,।

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9 MAR 2023 AT 18:35

उसे पता है पीड़ा का, कि कितना दर्द होता हैं,
टूट गए हैं सपने जिसके, जो रात रात भर रोता हैं,

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9 MAR 2023 AT 18:31

कोई कवे छ लोग बड़ा,अर कोई कवे छ पिसा,।
इण बाता का पाटा म, जीवण कि पिस गई छ निशा,।।

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8 MAR 2023 AT 19:26

जीते जी कुछ पाया नही, वो मर कर क्या क्या पाएगा,
चीरे चक्रव्यूह अभिमन्यु जैसे, वो वापिस कैसे आएगा,।

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16 JUN 2022 AT 22:58

मैंने यहाँ तलाशा वहाँ तलाशा पर मुझको वो मिला नहीं,
जब मुझको वो मिला भी ऐसे,जैसे मिलकर भी वो मिला नहीं,।

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15 MAY 2022 AT 17:26

बनकर सूरज चमक तू ऐसा और चीर चक्रव्यूह अभिमन्यु जैसा,
जीत युद्ध को या फिर हो जा , अस्त गगन में सूरज जैसा,।

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15 MAY 2022 AT 17:23

जिन्दगी जीने के लिए यहाँ क्या कुछ किया गया,
की लोगों ने जीना ही छोड़ दिया जिन्दगी जीने के लिए,।

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27 MAR 2022 AT 22:55

सूरत अच्छी होनी चाहिए 'अभिन्न',
अच्छे दिल से यहाँ किसे क्या मतलब हैं,।

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12 MAR 2022 AT 23:37

नदी के दो किनारे से हैं क्या कभी मिलोगे?
बसंत और पतझड़ से है क्या कभी मिलोगे?
या ताकते रहेंगे यूँ ही तुम्हे दूर बैठ कर,
कभी तो आओगे तुम या कभी नहीं मिलोगे?

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