मोहब्बत में शहादत के किस्से सुनें कई
शहादत से मोहब्बत सबके बस की बात नहीं।-
ताश के पत्तों की तरह बिखरते देखा है
सदियां लगी जिस महल को खड़ा करने में
सदियां लगेंगी बिखरे को खड़ा करने में
पर पत्ते वो ताश के खड़े होंगे फिर।-
बेदखल कर दिया, मुझे मेरे मकान से
उस धड़कते घर में अब, कोई और रहता है।-
उठना होगा कब्र से, थोड़ा और पहले
बड़ा वक्त है अभी, क़यामत के दिन में।-
दरख़्त थपेड़ों से जिस बगल कमज़ोर हुआ है
कुदरत का कहर, हमेशा उस ओर हुआ है।-
सबकी राहें है ज़ुदा, सबके अपने क़ायदे हैं
यहां उम्र भर किसी का साथ थोड़ी है
ज़िन्दगी है ग़र तो, तकलीफ़ होगी ही
ख़ुदकुशी इसका निजात थोड़ी है।
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कभी ग़म से, कभी खुशियों से बर्बाद ही रहता है
मैं वो शख़्स जो हमेशा नासाद ही रहता है।-
शीश हाथों में लिए रणभूमि में हुंकार होगा
या शहादत हाथ होगी या तो जय जयकार होगा।-
चन्द ख़्वाब जिन्हें हक़ीक़त होना था, नहीं हुए
कुछ हक़ीक़त महज़ ख़्वाब रहते तो अच्छा था।-
वज़ह-ए-बेवफाई में, शुमार इक ये भी था
उन्हें दरकार थी ज़िस्म की, हमने मोहब्बत रूहानी की।-