आपका नव वर्ष हो आकांक्षाओं भरा
उत्साह से ओतप्रोत, हर्षो उल्हास भरा
जीवन के हर रंग में रंगा
अपनों के संग उमंगों भरा
नया साल मुबारक हो
May your New Year be full of aspirations
Lots of joy, happiness, packed with enthusiasm
Colored in every color of life
Full of excitement with loved ones
Have a blessed New Year-
अपनापन और प्यार किसी को भी
धृतराष्ट्र और गांधारी समान
अंधा बना सकता है
पर किसी को भी भीष्मपितामह समान
दृष्टिकोण नहीं खोना चाहिए
Affection and Affiliation
can make one blind
like Dhrutrashtra and Gandhaari
But one should not loose
vision like Bhismapitamah-
प्रकृति का नियम
संतुलन पे आधारित है
कमतरता में जो बुराई है
वो अधिकता में भी समाई है
असंतुलन एक बीमारी है
वजह लालच है,, खुमारी है,,
समाज के तानेबाने में भी
समन्वय संतुलन जरूरी है
मै मुझे मुझसे करने पर
हर एक की बात अधुरी है
सावंगिक नहीं तो विकास नहीं
विकास के नाम पर लाचारी है-
जो जीता वो सही,
हारने वाला गलत ही
हर एक युद्ध के दो ही पक्ष होते है
सही गलत, धर्म अधर्म के मापदंडों से जुदा होते है
युद्ध का परिणाम तो नजरिया बनाता है
जीतने वाला खुद इतिहास बताता है
हारे हुए को इतिहास सदियों सताता है
जीत फिर सत्य और धर्म बन जाता है-
आपका नव वर्ष हो आकांक्षाओं भरा
उत्साह से ओतप्रोत, हर्षो उल्हास भरा
जीवन के हर रंग में रंगा,
अपनों के संग उमंगों भरा
नया साल मुबारक हो,
Happy New Year-
मर्ज तो है और दर्द भी
दवा से मुझे, कोई हर्ज नहीं
नासूर बन गया है
पर दर्द अब महसूस होता नहीं ।।
जो था पास खोया मैंने
अच्छा हुआ खैर,
था ही नहीं जब मेरा
तो खोने का दुख क्यों ही होता ।।
क्षणभंगुर है सुख कुछ पाने का
दर्द बिना कुछ ये सुख है क्या,
जैसे उजाले का वजूद
अंधेरों बिना क्या ही होता ।।-
यादों की अलमारी को टटोलते
आज मुझे सुकून मिला
धूल में लिपटा
मुझे मेरा बचपन मिला
पुराने मटमैले कपड़ों में
नंगे पैर लहराता मिला
कंचे खो-खो कबड्डी खेलता
पतंग उड़ाते मस्तमौला सा मिला
दोस्तो के संग इतराता
चहचहाता मिला
उधार की बड़ी सायकल को
कैची मार चलाता मिला
नुक्कड़ की दुकान पे
गटागट और पेप्सी खाता मिला
चाचा चौधरी, नागराज, अंगारा
कॉमिक्स का दीवाना मिला
अपनी धुन में मगन
बेफिक्र खिलखिलाता मिला
आंखो में चमक लिया
खुल कर हसता मुस्कुराता मिला
कुछ पल के लिए, यादों में ही सही
मै अपने आप से मिला-
एक किस्से कहानियों की
और एक तथ्यों भरी
किताबें होती बस दो प्रकार की
तथ्यों को किस्से समझ लेना
फिर भी गनीमत है
कहानियों को सच समझ बैठे
तो बस मतिभ्रष्ट है-
जमाने का दस्तूर है पुराना
हजार बार झूठ बोल, उसे सच बताना,,
गलत को रिवाज़ कह सही ठहराना,,
तुम्हारी भलाई है इसमें कहकर,
खुद का स्वार्थ सिद्ध कराना ।
सोचकर, समझकर,
समहलकर चलना यारा,,
भेड़ की खाल में कई भेड़िया है यहां ।।-
उधार की रोशनी से रोशन चांद सबको बोहोत भाता है
क्योंकी सूरज का तेज, आंखो को सहा नहीं जाता है,
बस यही मसला है इस धरती पर हर एक इंसान का
खुद से कमजोर पर जोर आजमाने में मजा आता है
और काबिलियत के आगे पसीना छूट जाता है।-