इंसान और जानवर में फर्क ही कहां है,
दोनों जीने के लिए शिकार करते हैं ।-
बाहर से आबाद हैं और अंदर से मर चुके हैं इंसान,
कौन कहता है जिंदा लाशें सड़क पर नहीं चला करती।-
बड़ा ही अजीब है जिंदगी का फेर भी,
घर से निकले हैं घर लौटने की कश्मकश में।-
ना जाने क्यों चल देते हैं घर से लोग,
थक हार कर घर याद आता है सबको।-
तुम को जो देखे देखता ही रह जाए,
पुराने परियों के किस्से याद आ जाए,
शालीनता साथ लिए चल रही हो वरना,
इस हुस्न तले तो कत्लेआम हो जाए।
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गांव का बच्चा शहर देखता है,
शहर का वारिस परदेस देखता है,
अब जब ये देश ही मेरा नहीं,
तो मेरी गरीबी कौन देखता है।
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For how many more days will it rain,
Oh god please shed your blessings on us-
प्यारी सी लड़की और गज़ब अदाएं है,
रूप रंग सौंदर्य मानो कूट कूट समाएं हैं,
जो देखें आपको तो देखते ही रह जाएं,
खुशबू भी आपकी, आप ही की हवाएं है ।-
अंधेरी काली रातों में सपनों से मुलाकातों में,
रोज़ मिलते हैं तुम्हारी काली जुल्फों के तले,
वहां हम दोनों जने बहुत सुकून से होते हैं ,
बिना किसी उलझन के सब मुश्किलों से दूर,
कोई भी हमारे एकांत में बाधा नहीं डालता,
तुम मुस्कुराते हुए होते हो अंदर तक खुश,
ना कोई शिकवा ना कहीं जाने की जल्दी,
मैं तुमको हंसा हंसा कर हंस रहा होता हूं,
और फिर हम सूरज को ढलते हुए देखते हैं,
पीछे कोयल और बाकी पंछी चहक रहे होते हैं,
साथ ही मालती के फूलों की खुशबू भी आती है,
और कहीं दूर बहती नदी की हल्की आवाज भी,
अब ऐसे ही कुछ पलों को यथार्थ में साथ जीना हैं,
उम्मीद है ये स्वपन जल्द ही हकीकत बनेंगे।-