कहीं रूप रंग की तो कहीं ऐशो आराम की तुलनाएँ,
हम ख़ुश हैं या दूसरों से कुछ ज़्यादा होने की ख़ुशी है ।-
इंसान और जानवर में फर्क ही कहां है,
दोनों जीने के लिए शिकार करते हैं ।-
बाहर से आबाद हैं और अंदर से मर चुके हैं इंसान,
कौन कहता है जिंदा लाशें सड़क पर नहीं चला करती।-
बड़ा ही अजीब है जिंदगी का फेर भी,
घर से निकले हैं घर लौटने की कश्मकश में।-
ना जाने क्यों चल देते हैं घर से लोग,
थक हार कर घर याद आता है सबको।-
तुम को जो देखे देखता ही रह जाए,
पुराने परियों के किस्से याद आ जाए,
शालीनता साथ लिए चल रही हो वरना,
इस हुस्न तले तो कत्लेआम हो जाए।
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गांव का बच्चा शहर देखता है,
शहर का वारिस परदेस देखता है,
अब जब ये देश ही मेरा नहीं,
तो मेरी गरीबी कौन देखता है।
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For how many more days will it rain,
Oh god please shed your blessings on us-
प्यारी सी लड़की और गज़ब अदाएं है,
रूप रंग सौंदर्य मानो कूट कूट समाएं हैं,
जो देखें आपको तो देखते ही रह जाएं,
खुशबू भी आपकी, आप ही की हवाएं है ।-