Bhupendra Suryakar   (Bhupendra)
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Writing-loveherted
Joined 26 December 2017


Writing-loveherted
Joined 26 December 2017
8 MAR 2023 AT 10:12

रंग जैसे एहसास तेरे हो,
भिखरे ही सही पर पास मेरे हो ।
बिन स्वार्थ प्रेम के रंगों में तूने मुझको अपने रंग में है रंग डाला
मिले तुम्हे भी हर रंगों का प्रेम मैने ईश्वर से है यही मांगा

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6 JUN 2022 AT 11:39

                   कलम और स्याही
मैं उसका कलम था और वो मेरी स्याही
         मेरे नसीब की कलम में स्याही काम थी,
         कागज में पन्ने और वक्त का तकाजा था
थोड़े से वक़्त मे मिल कर हमने खूब अच्छी यादें
         लिखी और मिटानी चाही तन्हाई
   लेकिन हमारी जिंदगी का पन्ना था बहुत सख्त
          और वक्त था बहुत कम जिस पर
           नामुमकिन सा था लिखना
   इसी नामुमकिन को मुमकिन करने की
आश में कलम आगे बढ़ता गया
और टूट गया और उसके टुटते ही उसकी स्याही
          जिंदगी के पन्नों पर बिखर सी
गई और बस अपनी यादों की छाप छोड़ गई

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13 MAY 2022 AT 10:42

चेहरे तो बहुत मिलेंगे इस दुनिया मे
पर उन चेहरों में ,उनके जैसा चेहरा न मिलेगा
जिस चेहरे को इस चेहरे ने एक बार मे कई बार देखा है
जिसे देख ,और कोई चेहरा न ,रास आया है

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29 APR 2022 AT 23:33

मीरा का मोहन के प्रति प्रेम जैसा है,
जैसे मीरा के लिए,
कुछ पाने की ए आश नही
तर जाने का आभास नही
दर्शन पे तो विश्वास नहीं
और मिलने की वो आश नही
वो थी मीरा, मोहन की मीरा
जिन्हें,मिलन भये न दर्शन ,
किंतु मोहन की कहलाई

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29 APR 2022 AT 9:02

मुझे नहीं आता,
अपनी एहसासो को तुमसे कैसे कह दु

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22 OCT 2021 AT 9:04

एक तलक दीदार ही बहुत है
जैसे आसमां को धरती से प्यार भी बहुत है
मैं उसकी तारीफ करू तो मुझे पागल कहो गे क्या
मैन दिन में चाँद देखा था भरोशा करोगे क्या
न जाने मेरा चाँद (भगवान) कहा जा छुपा बैठा है
जिस चांद का इंतजार आज भी बहुत है

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8 AUG 2021 AT 10:14

चलव संगवरी हरेली तिहार मनाबो
गुलगुल,चीला चाउर के रोटी,नरियर ला चढ़बो
खोच दे हाव नीम के डारा ,जुलमिल सब्बो नांगर ला धोवाबो
किसनहा जीवन के मन ला हरसबो
चलव संगवारी हरेली तिहार मनाबो

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29 JUN 2021 AT 10:56

मुझसे मत पूछो की मैं कैसी हु
मुझसे मत पूछो की मैं कैसी हु
बस नियत बदल गई बाकी सब वैसा है

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20 JUN 2021 AT 1:48

फिकर करे फेर बतावय नही..
मया करे फेर जतावय नही..
महतारी के मया घलो गजब..
जिनगी भर कभू सिरावय नही..

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12 JUN 2021 AT 0:45

संझा बिहनिया के भंवर म
मैं लिखहुं मया म पाती
कि आंखी म सरस के भाव
दिख जातिस मोला आती जाती|

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