bhumika upadhyay   (Bhumika Upadhyay)
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Appreciation is welcomed
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Insta: @bhumi201
Joined 4 May 2018


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5 SEP 2021 AT 13:23

आजकल क्या बड़े क्या छोटे
जिनकी उम्र बड़ी , उनके दिमाग छोटे
जिनकी उम्र छोटी, उनकी जिम्मेदारिया बड़ी
वक्त तो सबका आता है, आज मैं मजबूर हु
कल तुम होंगे, बस इतना कहना है जो अच्छे वक्त मैं उड़ते ज्यादा है
उन्हें बुरे वक्त मैं आसमान तो क्या , जमीन भी नसीब नही होती।

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19 MAY 2021 AT 11:52

उन्हें कहा पहचान थी मोहोबत्त की
हमसे रूबरू होकर भी बेखबर रहे

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2 JAN 2021 AT 23:38

लोग भी कितने नासमझ है
दुख देकर सुख की उम्मीद कर बैठते है

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14 NOV 2020 AT 9:29

मेरी कविता क्या है
प्यार है जिसने शर्तो को नामंजूरी दी है
दोस्ती है जिसका कोई धर्म नहीं है
इंतज़ार है मगर कोई जल्दी नहीं है
अपनापन है कोई छल नहीं है
रिश्ते है मगर सर्फ दिल के , खून के रिश्तों का कोई मोल नहीं है
मेरी कविता एक जूनून है , जिसे फ़ुरसत नहीं है
वो बस मुस्कुराना चाहती है, हवाओ को महसूस करना चाहती है
कह दे कोई अगर मैं हूं तुम्हारे लिए तो बस उसी पे लिखना चाहती है
मेरी कविता मोहताज नहीं है समाज के किसी भी उसूलों की उसके अपने उसूल है
उसूल बहुत ही सादा सा जहा अपना पन है उसी किताब के पन्नो में रहना पसंद करती है
ऐसा नहीं है कि पहले जिस पन्नो पे वो थी, वो पन्ने कभी फाड़े नहीं गए है , मगर उसे मिट के फिरसे उभर ने की लत है
मेरी कविता सचाई है जो हर किसी के अंदर छिपी है मगर बरसो से झूठ के नीचे दबी है
मेरी कविता हर वो इन्सान है जो लड़ना चाहता है मगर डर जाता है और पछतावा ले आता है
मेरी कविता बहुत ही साधी सी है इसमें कोई शब्दो का फेर पलट नहीं है
और मेरी कविता
मेरी कविता आज भी कमजोर है

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5 OCT 2020 AT 23:30

कुछ ऐसा सा आया वो
आया सो आया
मगर मेरा ना हो पाया वो
मै चाहूं उसे दूर से
दूर से जो चाहूं, नजदीकियों का दर्द नहीं
खामोशी में इकरार करू
जो खामोशी में करू, इनकार का कोई वजूद नहीं
अकेले ही प्यार करू, इबादत करू
उस अकेलेपन में वो सिर्फ मेरा रहे किसी और का नहीं
हवाओं में ही छूआ करू, चूमा करू
वो जो हवाएं मेरे होंठों से भी नर्म है, 
उसे महसूस हो जाए, मगर एहसास हो सके नहीं
उसे सपनों मै कुछ यूं पकड़े रखु, बहो मै अपने रखु
वो जो सपनों मै रहे, तो उसका कोई अंत hi नहीं


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1 JUN 2020 AT 19:02

मुशकिल वक्त मे दिलासा देने वाला कोई अजनबी भी हो
तो दिल मे उतर जाता है
और उस वक्त मे किनारा कर लेने वाला कोई अपना ही क्यो न हो
दिल से उतर जाता है

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27 MAY 2020 AT 9:27

I thought you can read my eyes
but you failed so i shift the focus to my lips But then lips denied to say anything.

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9 MAY 2020 AT 16:36

मुक़म्मल जहां कहा सबको मिला है
तकदीर से लड़ना तो सबको पड़ा है

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8 MAY 2020 AT 12:33

सुनिए ज़रा, इधर आए
ये जो आपकी ऊंची आवाज है ना,
इसे ज़रा काबू में रखे
दरअसल क्या है कि,
ऊंची हमें सिर्फ 'heel' पसंद है

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16 APR 2020 AT 0:32

Ye baat nahi hai feminism ki
Nahi pitrasatta ka mudha hua
Ek sawal bus usne pucha ki kya kubool hu mai?
100 khamiya hai or kuch hi khoobi, toh kya hua?
Ab barabar ki duniya hai vo kehte hai
Ladka ladki dono ko hi haqq hai ku sab sehte hai?
Magar pucho zara unhe bhi jo baate barabar ki karte hai magar unke jawabo mai sahuliyat srf mardo ki hai
Kya yahi hypocrite hai?
Chalo rehne do badi badi baate nahi karte hai
Puchte hai zara un mardo se jo thoda kaam krle apno ke liye, bhot naaz hota hai unpar bhi ,
Par kya ho agar fhir vo ginwa de uhne bhi
Aurat bhi to karti hai , ginwaya ho agar to kabhi na chuka sake us karze mai dub jane hai
Kher bhot se logo ne likha or bolo hoga insab ke baare mai , 4 taliya bajni hai , kuch likes, share or comments mai
Fhir ye sare mudde dafan ho jane hai

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