आज के ज़माने में 10 में से 7 प्रेम कहानी का यही किस्सा है
प्रेमिका ज़ब पत्नी बन जाती है तो पति प्रेम का हिस्सा किसी और के हवाले करके, उसे अपने प्रेम का हिस्सा बना लेता है...-
थोड़ी किस्मत भी जरुरी है
यें ज़िन्दगी है जनाब
इसकी जद्दोजहद के चलते
दिल में सबर और मन में हौसला होना बेहद जरुरी है-
अतीत के पन्ने भले ही वर्तमान से पीछे छूट जाते हैं
पर उन पन्नों की यादें चाहे अच्छी हो या बुरी
सदा दिल में बसी रह जाती है 🙃-
घर का जिम्मेदार बच्चा, हालातों का मारा, अपनी उम्र को ना देखते हुए भी अपनी सारी ज़िम्मेदारियों का बोझ अपने सर लेकर उन्हें पूरा करने में इतना मगन हो जाता है कि "अपनी ज़िन्दगी जीना भूल ही जाता है",बचपना झोंक देता है, जवानी झोंक देता है,वो कभी ये नहीं देखता कि उसने किस पर कितना खर्च किया,किसके लिए कितना किया!बस,बेहिसाब किया चला जाता है...
वहीं दूसरी ओंर दूसरा बच्चा जो सही उम्र में चन्द पैसे कमाना शुरू क्या कर देता है, उसमे इतना अहंकार आ जाता है मानो उसे लगता हो कि दुनिया उसके कदमो में है,और बातें तो इतनी बड़ी बड़ी की पूछो मत...इनको जीवन,जिम्मेदारी और दाल आटे का भाव तभी पता चलता है,जब इनका खुद का अपना परिवार आ जाये,और उनका भरण पोषण इन्हे अपने कांधो पर लेना हो,,
बावजूद इसके ऐसा बच्चा माँ बाप को प्यारा होता है और जिम्मेदार बच्चा उनके द्वारा तिरस्कृत होता है।और यही कारण होता है एक बच्चे के दुःखी होने में और दूसरे के बिगड़ जाने में!
और फिर जब ऐसे बच्चों का घर बसाया जाता है उसके बाद माँ बाप को इन्हीं बच्चों के पीछे रोना पड़ता है और अंत में स्मरण किया जाता है उस जिम्मेदार बच्चे को, जिसे इन्होने अहमियत तो कभी दी ही नहीं होती,ना ही उसके त्याग को समझा होता।
'पर प्रत्येक माँ बाप ऐसे नहीं होते'-
घर का जिम्मेदार बच्चा, हालातों का मारा, अपनी उम्र को ना देखते हुए भी अपनी सारी ज़िम्मेदारियों का बोझ अपने सर लेकर उन्हें पूरा करने में इतना मगन हो जाता है कि "अपनी ज़िन्दगी जीना भूल ही जाता है",बचपना झोंक देता है, जवानी झोंक देता है,वो कभी ये नहीं देखता कि उसने किस पर कितना खर्च किया,किसके लिए कितना किया!बस,बेहिसाब किया चला जाता है...
वहीं दूसरी ओंर दूसरा बच्चा जो सही उम्र में चन्द पैसे कमाना शुरू क्या कर देता है, उसमे इतना अहंकार आ जाता है मानो उसे लगता हो कि दुनिया उसके कदमो में है,और बातें तो इतनी बड़ी बड़ी की पूछो मत...इनको जीवन,जिम्मेदारी और दाल आटे का भाव तभी पता चलता है,जब इनका खुद का अपना परिवार आ जाये,और उनका भरण पोषण इन्हे अपने कांधो पर लेना हो,,
बावजूद इसके ऐसा बच्चा माँ बाप को प्यारा होता है और जिम्मेदार बच्चा उनके द्वारा तिरस्कृत होता है।और यही कारण होता है एक बच्चे के दुःखी होने में और दूसरे के बिगड़ जाने में!
और फिर जब ऐसे बच्चों का घर बसाया जाता है उसके बाद माँ बाप को इन्हीं बच्चों के पीछे रोना पड़ता है और अंत में स्मरण किया जाता है उस जिम्मेदार बच्चे को, जिसे इन्होने अहमियत तो कभी दी ही नहीं होती,ना ही उसके त्याग को समझा होता।
'पर प्रत्येक माँ बाप ऐसे नहीं होते'-
ज़िन्दगी की हर सुबह एक नयी जंग है
और
इस ज़िन्दगी का हर लम्हा एक नयी चुनौती-
मेरी सांसे जिनकी सांसो से चलती हो
मेरा दिल जिनके सीने में धड़कता हो
मेरी जान जिनके जान में बसती हो
मेरा वजूद जिनसे जुड़ा हो
मैं जीती जिनके लिए हूँ
ग़र वो ही तिनका तिनका मुझसे छूटता चला जा रहा हो
मुझे खाली कर रहा हो, तो बचा ही क्या ऐसा मुझमे??
करता है ये सवाल मेरा ज़िस्म मुझसे
और हँसता है मुझ पर की रूह तो तेरी जुड़ी है उससे
इस खाली मिट्टी से ज़िस्म का तू करेगा क्या......-
घर का वो रास्ता
जो ले जाता है हमें थकान से सुकून की ओर
देखकर माँ को घर पर मिलती है राहत
पाकर पिता का प्यार हो जाती है खुशियों की बौछार-
कुछ चुनिंदा लोगों को या कहूँ बेवकूफ़ों को ऐसा लगता है कि उनका झूठ हमसे पकड़ा नहीं जायेगा
उनकी चालाकियां हमें दिखेंगी नहीं
पर तुम्हें शायद ये बात पता नहीं है कि हम सब-कुछ जानकर भी अनजान बन रहे हैं
तुम्हारी गलतियो को अनदेखा कर रहे हैं
और अब इस गलतफहमी में मत रहना कि हम वो पुराने वाले मोम दिल शख्स होंगे,, पत्थर से हो गये हैं अब तो...
पिछवाड़े में दुलत्ती मार खदेड निकालेंगे तुम्हें अपनी जिंदगी से,, या करेंगे कुछ ऐसा सितम तुम पर यूं हम खुद गिरकर कि याद आयेंगे तुम्हे तुम्हारे अपने गुजरे करम,,-