Bhumika Patidar   (“भूमिका”)
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Joined 30 December 2018


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1 MAY AT 15:58

कभी तुमको भी मुहब्बत होगी हमसे, ये भरम पाले जा रहे है।
और रोज़ तुम्हारी dp देख देख, अपना दिल हारे जा रहे है।

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16 APR AT 21:14

बज़्म-ए-अदब फ़ीका है।
रूप का हर ज़ेबैश फ़ीका है।

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30 MAR AT 19:58

लाज़मी है तेरे होने से
मेरी मुस्कान का वजूद,
लाज़मी है तेरे होने से
मेरी मुहब्बत मशहूर।
मुसलसल यादों का
साथी है तू,
मेरी वीरां राहों का
राही है तू।
कट जाता है दिन
तेरे होने की उम्मीद में
हर रात साथ होता है तू
मेरी सपनों भरी नींद में

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28 MAR AT 23:56

सरताज़ रहते नहीं सदा, सल्तनत के तख़्तों पर
तितलियाँ बसर करती नहीं सूखे दरख़्तों पर।

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8 MAR AT 14:45

महिला दिवस की शुभकामनाएँ भी होंगी सार्थक।
जब तुम पहल करोगे-
''आज के बाद माँ बहन की गाली नही।''

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3 MAR AT 14:28

जब मैंने चाहना छोड़ दिया..
तुम आए।

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2 FEB AT 20:39

तुम्हारा चेहरा,
तुम्हारी आँखें
आज भी उतनी ही मासूम हैं।

पहली बार
किसी को देख कर लगा
कि सादगी इतनी ज़्यादा
आकर्षक क्यूं होती है?
शायद
वो तुम्हारा प्रतिबिंब होती होगी इसलिए।

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16 JAN AT 11:50

तुमने देखे नहीं फूल गुलदानों में
न देखे हैं मौसम बहारों में

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13 JAN AT 14:36

तेरी नज़ीर सर आँखों पर
मेरा नसीब तेरे हाथों पर।

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19 DEC 2024 AT 21:50

सूख चुके हैं
सालों से रखे
किताबों के गुलाब।

एक शख़्स
के दिए ज़ख्म; मगर
आजतलक नहीं सूखे।

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