तेरे पहलू में छिपकर, कुछ लम्हें बिताने हैं
जो किसी से ना कहे ,वो किस्से सुनाने हैं
ज़रा समेट मुझे तू ,अपनी पनाह में
इन आंखों को आज ,कुछ अश्क बहाने हैं-
Bhumi
(Bhumi)
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Joined 25 May 2020
22 JAN AT 16:04
8 OCT 2023 AT 21:12
याद नहीं कब
ये सफ़र शुरू हुआ था
इल्म नहीं कब तक
हम मुसाफ़िर रहेंगे
तलाश ही लेगा
दिल अपने खुदा को
किस डगर तक आखिर
हम काफ़िर रहेंगे-
11 JUN 2023 AT 7:49
खुद को सजा देकर
कुछ आराम मिलता है
जब हर नज़र में अपने लिए
मुझे इल्ज़ाम मिलता है
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