चांद से चेहरे पर सघन अंँधेरा रह गया
सीने में दर्द का सागर गहरा रह गया
मुझको मोहब्बत शायद रास ना आई
दास्ताँ बनी नहीं मेरी मैं कोरा रह गया
जुस्तजू दिल की कि मैं ही मैं रहूं दिल में
उनकी अपनी दुनिया है मैं दूसरा रह गया
चैनों सुकून सब साथ लेकर गए वो उस
दिन, मेरे लिए यादों का नजारा रह गया
ज़ीस्त तो ठहरी हुई है शाम को वो रोज़
दीदार यार की करते हैं मैं सवेरा रह गया
सीने में दर्द का सागर गहरा रह गया
उनके दिए हुए ज़ख़्म हाँ हरा रह गया
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