Bhubaneswari   (भुबनेस्वरी 'अलीका')
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Joined 9 July 2019


Joined 9 July 2019
30 APR AT 18:31

जीवन की दौड़ में मैं आगे मैं आगे
खुदगर्ज मन ज़िन्दगी के पीछे भागे

पहला स्थान उसी का पीछे बाकी सब
हर जगह जीत उसकी यही एक तलब

किसी भी हद तक जाने को तैयार
सब कुछ दांव पर रिश्ते और प्यार

चेहरे पर एक नया चेहरा दिखावे
का लिबास लबों पर झूठी मिठास

जानकर भी अनजान बनकर रहता है
उतनी जमीन दरकार जितना कद रहता है

वहीं की वहीं रह जाती है सांसें छूटने पर
जीवन की दौड़ में पीछे रह जाता है हर स्वर

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30 APR AT 17:18

हालात बदलते रहतें हैं ना बन ख़ुद का बैरी
जीने के लिए उम्मीद और यक़ीन है जरूरी

सब के हिस्से में आते हैं कांँटे किसी ना किसी
मोड़ पर छूट जाती है हाथों से खुशियों की टोकरी

वक्त पर यकीन रख कदम बढ़ाते रहना सदा तुम
हौसलों से तय कर दोगे सुबह से शाम तक की दूरी

टिकी हुई है सारी दुनिया उम्मीद और यक़ीन पर
रुका नहीं राह-ए-ज़िन्दगी में आंधियों में संभलना जारी

दायरे कुछ नहीं तितली की तरह उठना मुस्करा कर
दर्द से बाहर निकलना तोड़ कर मन की दीवार भीतरी

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29 APR AT 18:26

ज़िन्दगी एक पहेली है सुलझती नहीं
में ठहरी अनाड़ी ये चाल बताती नहीं

कहीं सुख ने डेरा डाला कहीं दुःख ने
छीने चैन चुप है ज़िन्दगी बोलती नहीं

वक्त के साथ गहरा रिश्ता ज़िन्दगी का
आने वाले कल का राज वो खोलती नहीं

उसने जो दिया हमने वही लिया लेकिन
वो निर्मोही सांसें टूटने पर हमें रोकती नहीं

पल-पल सवाल बनकर खड़ी है सामने
ऐ जिन्दगी मेरे दिल में तू क्यों झांकती नहीं

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29 APR AT 17:21

चांद से चेहरे पर सघन अंँधेरा रह गया
सीने में दर्द का सागर गहरा रह गया

मुझको मोहब्बत शायद रास ना आई
दास्ताँ बनी नहीं मेरी मैं कोरा रह गया

जुस्तजू दिल की कि मैं ही मैं रहूं दिल में
उनकी अपनी दुनिया है मैं दूसरा रह गया

चैनों सुकून सब साथ लेकर गए वो उस
दिन, मेरे लिए यादों का नजारा रह गया

ज़ीस्त तो ठहरी हुई है शाम को वो रोज़
दीदार यार की करते हैं मैं सवेरा रह गया

सीने में दर्द का सागर गहरा रह गया
उनके दिए हुए ज़ख़्म हाँ हरा रह गया

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22 APR AT 20:58

जबसे मेरा नाम तुम्हारे नाम से जुड़ा
मेरे जीवन का रूख तुम्हारी ओर मुड़ा

क़दम बढ़ा कर साथ फेरे लिए मैं ने तुम्हारे संग
उम्र भर के लिए साजन बने तुम डोर और में पतंग

तुम्हारे सुख में मैं सुखी तुम्हारे दुःख में मैं दुखी
आज से तुम बन गए हो मेरे सखा मैं तुम्हारी सखी

एक पल के लिए भी मन को शंकाओं से घिरने ना देना
मैं तो तुम्हारी परछाई मेरी आंखों में तुम ही तुम रहोगे सजना

रोज दहलीज़ सजेगी हमारी मोहब्बत की चिराग से
घर का हर एक कोना खिलखिला उठेगा अनुराग से

जीवन पथ पर आख़री साँस तक साथ निभाऊंगी साथिया
गठबंधन में गांठ लगाई गई मैं प्यार की बंधन में बंधीं रहुंगी साथिया

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21 APR AT 14:42

चाँदनी की चादर तले आओ हम एक ख्वाब देखें
एक दूसरे की आँखों में ज़िन्दगी की किताब देखें

मोहब्बत का रंग इस तरह चढ़े कि इतराएं हम
जब भी हम मिले हर बार मोहब्बत का आब देखें

दुनियादारी में खो ना जाना तुम यहां तो जिस्मानी रिश्ते हैं
मोहब्बत की करीब रह कर हम तुम रूह की तलब देखें

मोहब्बत जो करते हैं उन को बहुत सवाल करते हैं ये
दुनिया वाले आओ हम समारी मुस्कराहट में जवाब देखें

दिल से दिल का बंधन बेहद पाक मिलावट नहीं कहीं
खुदा का दूसरा नाम है मोहब्बत सजदे में हम रब देखें

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20 APR AT 21:28

एक तरफ़ तो तुम कहते हो मेरे हमदम हो
फिर क्यों साथ निभाने से कदम पीछे करते हो

ये कैसा प्यार इजहार किया गया इकरार किया गया
फिर क्यों इस मतलबी खुदगर्ज दुनिया से तुम डरते हो

कहीं ऐसा तो नहीं कि तुमने मेरे दिल से खेल खेला
दिल में कुछ और इस जुबान पर और कुछ रखते हो

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20 APR AT 21:28

एक तरफ़ तो तुम कहते हो मेरे हमदम हो
फिर क्यों साथ निभाने से कदम पीछे करते हो

ये कैसा प्यार इजहार किया गया इकरार किया गया
फिर क्यों इस मतलबी खुदगर्ज दुनिया से तुम डरते हो

कहीं ऐसा तो नहीं कि तुमने मेरे दिल से खेल खेला
दिल में कुछ और इस जुबान पर और कुछ रखते हो

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20 APR AT 17:05

पहली जैसी नहीं ज़िन्दगी हर घड़ी खामोशियाँ
दिल की दहलीज़ पर कदम नहीं रखती खुशियांँ

एक दूसरे के दर्द नहीं बांटते गले नहीं मिलते
हर बार सिर्फ उठ रहे हैं सामने से बस उंगलियाँ

अपनों का परायापन देख कर दिल दंग रह गया
झूठे चेहरे झूठा प्यार दिखावा रिश्तों की सच्चाइयांँ

दिन गुजर जाता है रातों को याद नहीं किया करता
कोई कहीं पर भी सुनाई नहीं देती कोई हिचकियाँ

जी तो रहे हैं सभी लेकिन दिल खाली खाली दिल
में जगह दी नहीं ख्याल खाली वीरान झोपड़ियांँ

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14 APR AT 16:25

मेरी रचना को सम्मानित और
सरहना हेतु बहुत-बहुत शुक्रिया
दीदी 😍🌹🙏🙏🙏🙏🌹😍

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