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ऐ दिल आईने में देखना ग़ौर से रोज़ इस अक्स को
खुद को साबित करते करते सगा ना बन जाना अंधेरों के-
इच्छाओं अपेक्षाओं की शोर मची हुई है
एक की पूर्ति हुई दूसरी अभी बची हुई है
बचपन में बचपना ना रहा जवानी में ना
रहे सुलझे हुए क़दम ना भावना जची हुई है
रिश्ते नाते सभी को भूलकर अपनी ही धुन
मैं बहुत मस्त, अलग दुनिया एक रची हुई है
सूखे हुए लब आंखें सवाल करती बुढ़ापे को
कि नींव रखते हुए कहां उससे कजी हुई है
रूह की आवाज़ को दबातीं हैं ये बे-इंतिहा हसरतें
दिल से दिल तक दूरी दिन-ब-दिन निभाई हुई है-
रेशम का धागा लेकर आई बहन
साथ रोली चावल कुमकुम चन्दन
आओ भैया कलाई पर राखी बांधूं
और पक्का कर दूं बहन भाई का बंधन
लंबी उम्र सुख और उन्नति की कामना
मन में लिए आरती उतार लूं पावन
रक्षाबंधन की ढेर सारी शुभकामनाएँ
जीवन पथ में हर अरिष्ट का हो खंडन
💐💐💐💐💐💐💐💐💐😊-
रेशम का धागा लेकर आई बहन
साथ रोली चावल कुमकुम चन्दन
आओ भैया कलाई पर राखी बांधूं
और पक्का कर दूं बहन भाई का बंधन
लंबी उम्र सुख और उन्नति की कामना
मन में लिए आरती उतार लूं पावन
रक्षाबंधन की ढेर सारी शुभकामनाएँ
जीवन पथ में हर अरिष्ट का हो खंडन
💐💐💐💐💐💐💐💐💐😊-
रेशम का धागा लेकर आई बहन
साथ रोली चावल कुमकुम चन्दन
आओ भैया कलाई पर राखी बांधूं
और पक्का कर दूं बहन भाई का बंधन
लंबी उम्र सुख और उन्नति की कामना
मन में लिए आरती उतार लूं पावन
रक्षाबंधन की ढेर सारी शुभकामनाएँ
जीवन पथ में हर अरिष्ट का हो खंडन
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐😊-
रेशम का धागा लेकर आई बहन
साथ रोली चावल कुमकुम चन्दन
आओ भैया कलाई पर राखी बांधूं
और पक्का कर दूं बहन भाई का बंधन
लंबी उम्र सुख और उन्नति की कामना
मन में लिए आरती उतार लूं पावन
रक्षाबंधन की ढेर सारी शुभकामनाएँ
जीवन पथ में हर अरिष्ट का हो खंडन
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐🙏-
रेशम का धागा लेकर आई बहन
साथ रोली चावल कुमकुम चन्दन
आओ भैया कलाई पर राखी बांधूं
और पक्का कर दूं बहन भाई का बंधन
लंबी उम्र सुख और उन्नति की कामना
मन में लिए आरती उतार लूं पावन
रक्षाबंधन की ढेर सारी शुभकामनाएँ
जीवन पथ में हर अरिष्ट का हो खंडन
💐💐💐💐💐💐💐💐💐🙏-
जीवन आसान नहीं कठिन है लम्हा लम्हा यहाँ
वक्त बदलता रहता है अपना रूख लम्हा लम्हा यहाँ
उतार -चढ़ाव पर जीवन की गाड़ी चलती रुकती
कैसे ना घबरायें ये मन जो गुजरे लम्हा लम्हा यहाँ
फिर भी ये दिल कहीं ना कहीं पकड़ कर रखता है
एक ओर से उम्मीद का एक सिरा लम्हा लम्हा यहाँ
तोड़ देती हैं परिस्थितियां छूट जाते हैं रिश्ते भी यहीं
ज़ख़्मी हो कर दिल हौसला बांधे लम्हा लम्हा यहाँ
उम्मीद का सिरा बड़े कमाल का है सहारा दे ही देता
है जीवन को, क़दमों आगे बढाये लम्हा लम्हा यहाँ
खिल जाते हैं चेहरे आंखों में नई उमंग सांसों में नई
स्फूर्ति हर सुबह जीवन को सामना करे लम्हा लम्हा यहाँ
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चाहत के बदले चाहत ना मिली
दिल की बगिया में गुलाब ना खिला
वो मिला मुझे इब्तिदा-ए-सफ़र में
लेकिन मुझे उसका प्यार ना मिला
मैं मरती रही उस पर मोहब्बत में
उसने जुबान पर डाल रखा था ताला
था तो वो मेरे आस-पास हर वक्त
हाथ में थी गैर नाम की जपमाला
मोहब्बत के बदले हुई काँटों से
मुलाक़ात नाम मेरा जहाँ में उछला-