भरt नंdini   (भरt-नंdini)
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Joined 25 January 2018


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Joined 25 January 2018
11 JAN AT 0:01

If change is inevitable.
so make the change you want

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6 JAN 2022 AT 18:10

It's hard to get one,
Who can understand your unsaid,
And also your words;




Without judging and instructing.

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8 APR 2021 AT 5:39

मुझसे त्याग और समझौते की आशा रखने वाले,
क्या तुमने कभी बुनियादी जरूरतों तक का त्याग किया है।

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29 MAR 2021 AT 15:47

मेरी दुनिया बेरंग करके
रंगों से खेल रहे है वो।
नहीं
ये शिकायत तुमसे नहीं
खुदा से है।

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29 MAR 2021 AT 3:02

People changes, this I knew.

But realised, when in one of my most
disturbing and saddest day;
When I cried my heart out whole night,
called only him,in agony.


He forgot to ask the very next day
How are you?
Just like nothing happened to me.


That was the tightest slap I handled in my life.
You are special and important to no one.
It's just about time.
And terrible part is,it changes.

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26 MAR 2021 AT 0:17

बच्चों को भावनात्मक रूप से अपमानजनक परिवार के सदस्यों
के साथ संबंध बनाने के लिए मजबूर करना बंद करें।
आप उन्हें "परिवार जरूरी है" नहीं सिखा रहे हैं,
आप उन्हें यह सिखा रहे हैं कि कोई उनके साथ कैसा भी व्यवहार करता है,
वे मान लें कि वे उनसे बिना किसी शिकायत के उन्हें प्यार करते रहेंगे
और यूंही बेज्जत होकर अपना आत्मा-सम्मान गंवाते रहेंगे,
और यह अच्छा सबक नहीं है।

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24 MAR 2021 AT 21:23

My sweetheart to You GoldDigger.
I lived my Lovestory.

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24 MAR 2021 AT 20:11

बिटिया, जो शादी की बात पर रोती-चिल्लाती थी,
कि वो अपना घर,अपने माता-पिता को छोड़ कर नहीं जाएगी।
एक उम्र के बाद: मां की दुत्कार,
पिता से उपेक्षित, और
भाइयों से बेज्जत हो कर
भरी आंखों से कहती है,
मेरी शादी करवा दो🙏🏻।

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17 MAR 2021 AT 15:25

पुरुष के जीने का अंदाज बड़ा निराला है।
जिस चीज को वो सामाजिक जवाबदेही के बिना पा ले तो,
उसकी जिम्मेदारी से वो कभी भी मुंह फेर सकता है।
बड़ी आसानी से।

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8 MAR 2021 AT 18:21

जब पुरुष की वैवाहिक जीवन में रुचि ना हो और वो शादी ना करे तो उसे अपने कार्य के लिए समर्पित समझा जाता है,
लेकिन अगर महिला ने ऐसा करने की हिम्मत की, तो निश्चित रूप से उसके साथ कुछ दोष या मुद्दा है।
एक पुरुष अपने परिवार के "हिसाब से" अच्छी पत्नी ढूंढ सकता है,
लेकिन अगर महिला ने ऐसा करने का दुस्साहस किया तो वह बेफिजूल का व्यापार कर रही है।

भारतीय पितृसत्तात्मक समाज, अपनी सुविधा के अनुसार महिलाओं के अधिकारों का फैसला करता आया है,
सदियों से यहां के लोगो को बुद्धिजीवी होने का चोला पहनकर
अपने दृष्टिकोण को तोड़-मरोड़कर पेश करने की आदत है।

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