बच्चों को भावनात्मक रूप से अपमानजनक परिवार के सदस्यों के साथ संबंध बनाने के लिए मजबूर करना बंद करें। आप उन्हें "परिवार जरूरी है" नहीं सिखा रहे हैं, आप उन्हें यह सिखा रहे हैं कि कोई उनके साथ कैसा भी व्यवहार करता है, वे मान लें कि वे उनसे बिना किसी शिकायत के उन्हें प्यार करते रहेंगे और यूंही बेज्जत होकर अपना आत्मा-सम्मान गंवाते रहेंगे, और यह अच्छा सबक नहीं है।
बिटिया, जो शादी की बात पर रोती-चिल्लाती थी, कि वो अपना घर,अपने माता-पिता को छोड़ कर नहीं जाएगी। एक उम्र के बाद: मां की दुत्कार, पिता से उपेक्षित, और भाइयों से बेज्जत हो कर भरी आंखों से कहती है, मेरी शादी करवा दो🙏🏻।
जब पुरुष की वैवाहिक जीवन में रुचि ना हो और वो शादी ना करे तो उसे अपने कार्य के लिए समर्पित समझा जाता है, लेकिन अगर महिला ने ऐसा करने की हिम्मत की, तो निश्चित रूप से उसके साथ कुछ दोष या मुद्दा है। एक पुरुष अपने परिवार के "हिसाब से" अच्छी पत्नी ढूंढ सकता है, लेकिन अगर महिला ने ऐसा करने का दुस्साहस किया तो वह बेफिजूल का व्यापार कर रही है।
भारतीय पितृसत्तात्मक समाज, अपनी सुविधा के अनुसार महिलाओं के अधिकारों का फैसला करता आया है, सदियों से यहां के लोगो को बुद्धिजीवी होने का चोला पहनकर अपने दृष्टिकोण को तोड़-मरोड़कर पेश करने की आदत है।