जिन्दगी के अन्धेरे में मानो कोई दिये सा था, एक आम पहलू मगर बडा कोइ अजीब सा था, यकिन ना हो जिसका वैसे कोई खुबसूरती सा था, वो सुबह की कोई पेहली उमीद की किरण सा था।
हाँ आज भी मैं कहती हूं, जा मुझे तुमसे प्यार नहीं। पर किसी दिन इस हयात में, ज़रा झाँकना इन आँखों में तुम; प्यार के अलावा तुम्हारे लिए बचा भी कुछ नहीं। हाँ माना तुम उड़ते परिंदे हो, पर इस क़ुरबत में तुम आए तो रख लूंगी तुम्हे। और तब भी उड़ना चाहो तो कह दूंगी, हाँ मुझे तुमसे प्यार नहीं। तुम इनायत हो आज भी, पर बस आज मान लिया की तुम सिर्फ ताबीर में ही मेरे हो। हकीक़त में आज भी यही कहूँगी, हाँ मुझे तुमसे प्यार नहीं।
On the darkest of the nights after the most beautiful day, Just for a moment holding the hand and kissing the soul, My inner self was crying... still my face managed to smile, He came only once to light a tiny spark of hope!! I lived....!