ज़िंदगी में इतने ग़म है कि अब सहे नहीं जाते तुम्हारे बिना इक पल भी हम रह नहीं पाते तुम जो नाराज़ होते हो तो लगता है डर क्यूंकि तुम्हारे बिना हम किसी से लड़ भी नहीं पाते...
रूठने को तो रूठ जाऊँ दुनियाँ जहां से पर मुझे मनाएगा कौन, मैं सही हूँ या गलत ये मुझे बताएगा कौन, तुमने तो छोड़ दिया बीच रास्ते में मुझे अब जिंदगी भर मेरा साथ निभाएगा कौन,
मोहब्बत की ख़ुशी हर किसी को मिले ये ज़रूरी नहीं, दो दिल आपस में मिल ये ज़रूरी नहीं, मोहब्बत पे हर कोई मरता है पर, मोहब्बत हर किसी पे मरे ये ज़रूरी नहीं...
उदासी के आईने में भी मै मुस्कुराती हूँ ग़म जितना भी हो आँसुओं के घूंट पी जाती हूँ सोचतीं हूँ समय के साथ सब ठीक हो जाएगा पर उदासी और ना बड़ जाए इसलिए घबराती हूँ
दुनियां के डर से, मै अपने ही घर से निकल गई कहीं दूर, क्यूंकि वो अपने ही घमंड में था चूर, फ़िर उसने मुझे रोका जैसे कोई आँधी का झोंका, अब डर लग रहा था फिर से, इसलिए मै खुद ही निकल आई, दुनियां के डर से..............
यादों की सड़क पर चल रहे हैं उसकी यादों के सहारे, मेरा दिल आज भी है सिर्फ़ उसको पुकारें, ना कोई तमन्ना थी ना कोई ख़्वाहिश, चल रही है जिंदगी बस उसकी यादों के सहारे...