क्या खता थी जो हमने की,
या बेवजह हम जुदा हो गए
तुम तो ऐसे नही थे ना
फिर क्यों तुम भी बुझदिल हो गए
कैसे बदला तुम्हारा यह अंदाज
की वक्त के साथ हम, हम ना रहे
राही थे ना हम तो इश्क के
फिर क्यों हम जुदा हो गए
माना मोहब्बत हर वक्त एक सी नहीं रहती
पर बदलाव में तुम साथ ही छोड़ दो, यह कहाँ की बात हैं
तुम ही कहते थे ना
बात करके सब सही किया जा सकता हैं
फिर क्यों बिना कोशिश किए तुम हार मान गए
क्या खता थी जो हमने की,
या बेवजह हम जुदा हो गए
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