bhoomi  
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Joined 15 February 2025


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23 JUL AT 10:19

"Woh Ladki"

Woh ladki halki muskaan wali thi,
Par dil mein toofan sambhale बैठी थी।
Khud ko har रोज़ थोड़ा सा चुनती थी,
Aur हर टूटन को कविता में बुनती थी।

Na samjho कमज़ोर उसे खामोशी से,
Woh हर चुप्पी में खुद की जीत लिखती थी।

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23 JUL AT 10:08

वो हर शब्द का मतलब खोजती है,
हर चीज़ में छुपा कारण ढूंढती है।
उसे बारिश की हर बूँद से प्यार है,
पतझड़ में भी सूखे पत्तों की ख़ूबसूरती देखती है।

वो सारे रंग समेट लेना चाहती है,
और चुपचाप अपनी जेब में रख लेना चाहती है।
जैसे ज़िंदगी की हर झलक को सहेजकर,
वो खुद को थोड़ा-थोड़ा और समझना चाहती है।

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23 JUL AT 9:48


"अब रूप रंग सब बदल गए हैं उसके,
अब वो खुद को चाहने लगी है।
संवार लेती है वो अपने बालों को,
आँखों में सुरमा लगाने लगी है।
ख़्वाबों को हक़ीक़त में जीती है,
उसे अपनी ही बनाई ज़िंदगी प्यारी लगी है।"

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14 JUL AT 11:32

तुम कहते हो, तुम मुझे चाहते हो,
क्या मेरे बदल जाने पर भी चाहोगे?

तुम कहते हो, मैं तेरा हर ख़्वाब पूरा करूंगा,
क्या मेरे बेनाम सपनों को भी समझ पाओगे?

तुम्हें मैं पसंद हूं, यूं मुस्कुराते हुए,
क्या मेरी हँसी के पीछे का दर्द जान पाओगे?

तुमने मुझे, सिर्फ़ अपने लिए जीते देखा है,
क्या मेरी खुद से नफ़रत को भी सह पाओगे?

तुम कहते हो, तुम मुझे चाहते हो,
क्या मुझे बिना छुए, मेरी रूह तक उतर पाओगे?

तुम कहते हो, मेरे लिए सब छोड़ दोगे,
पर क्या तुम... मुझे छोड़ पाओगे?

-


2 JUL AT 16:43

Kisi ne puchha, sabse zyada mohabbat kis se hai tumhe?
Maine kaha —
Mujhe bepanah mohabbat hai khud se...

Mohabbat hai apne khule julfon ke jhonkon se,
Mohabbat hai apni awaaz ke har lehje se.
Mohabbat hai un khwabon se jo neend se bhi pyare hain,
Aur un aansuon se jo khamoshiyon mein beh jaate hain.

Khud pe hi dil aa jaata hai,
Jab khud se hi aankhein milti hain.
Fida hoon apni hi adaaon par,
Aur ishq hai apni in khamosh aankhon se...

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23 JUN AT 14:34

"Aankhon se padh le tu mere जज़्बात,
अपने जज़्बात तो हम खुद से भी नहीं कह पाते हैं।"

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20 JUN AT 9:00


“मैं खोई नहीं थी,
बस सबमें खुद को बाँटते-बाँटते थक गई थी।”

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20 JUN AT 8:50

"कच्ची उम्र..."

कच्ची उम्र है अभी, गलती कर बैठी हूँ,
एक अनजान पर न जाने क्यों दिल दे बैठी हूँ।

ना वादा था, ना पहचान थी,
फिर भी उसके लफ़्ज़ों में कोई जान थी।

मैं समझती रही, वो भी कुछ खास समझेगा,
पर वो तो बस अपनी ही बातों में उलझेगा।

अब सवाल खुद से है —
क्या ये दिल देना मेरी नादानी थी,
या बस तन्हाई की कोई पुरानी कहानी थी?

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16 JUN AT 12:36

"Na, abhi anjaan hai tu khud se,
Abhi nadan hai tu.
Dil mein pyaar, aur dimaag se kapti hai tu,
Par har toofaan ke baad,
Ek nayi subah si lagti hai tu."

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16 JUN AT 12:28

"Dimag ke shor ne dil ki awaaz ko daba diya,
Sapno ki chaaah ne ishq ko mita diya.
Socha tha khud ko paa lungi kabhi,
Par khud ko hi khokar sab kuch gawa diya."

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