Bhharat Orthant   (Bhharat Orthant)
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Joined 15 June 2017


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24 NOV 2021 AT 23:38

दुनिया बहुत छोटी सी है मेरी जान...
इसकी लंबाई मापी जा सकती है,
तभी आज तुम और मैं साथ हैं..
अनंत तो ब्रम्हांड है,
लेकिन उसे भी तुमने अपनी इन बड़ी सी आँखों में बस एक काज़ल के सहारे बांध रखा है..!!
🖤🖤🖤

-


24 NOV 2021 AT 10:14

ताकि,
उनके बताये
रास्तों पर चलना आ जाये
इसीलिए,
हम सभी भाई,
अक्सर
बाबूजी की चप्पलें पहन लिया करते हैं...
❤❤

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8 OCT 2021 AT 13:00

चल कहीं बैठे,,,
हाथ में
चाय का कुल्हड़ लेकर,,,
और उस सुकून में,,,
रख परेशानियों को परे,,,
चल सुकून से,
जिंदगी में जिंदगी ढूंढे...

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3 OCT 2021 AT 11:25

अभी इसी वक़्त
चुपके से दबे पाँव ..
आकर ढक दूँ
तुम्हारी दोनों आँखें को
अपनी दोनों हथेलियों से..

और..
कान से होंठ सटाकर पूछुँ
कि बताओ कौन है ..

ये जानते हुए भी कि
तुम पहचानती हो मुझे ..

मेरी आहट से ,
मेरी ख़ुशबू से ,
मेरी आवाज़ से ,
मेरे स्पर्श से ,

मग़र फ़िर भी पूछना है ..

फिर देखना है..
तुम्हारे चेहरे पे वो लाल हया ,,,
और तुम्हरा मंद मंद मुस्कुराना..

उफ़्फ़्फ़्फ इश्क़ ही तो है!!
❤️💙❤️

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28 AUG 2021 AT 0:01

मैं उसे देख कर लौटा हूं,
तो क्या देखता हूं,,,
शहर का शहर,
मुझे देखने आया हुआ है...

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25 AUG 2021 AT 23:03

यूँ तो गणित,,,
निहायती कमजोर रहा हमारा,,
पर पिछली बार जब तुमसे मिला था,
तो तुम्हारे झूमके में,
पूरे अठारह मोती गिने थे मैंने...

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16 JUL 2021 AT 11:09

सुनो मेरी वो काली कमीज़,,,
तुम कहीं छुपा कर रख लो,,,
अपना एक टूटा बाल,,,
उसपे सजा के रख दो,,,
संग कैद कर दो उसमें
वो खुशबू जो उस दिन हमने ओढ़ी थी,,,
अपने काजल का एक निशान
उसपर कहीं लगा कर रख दो,,,
बहुत कर लिया नशा
तुम्हारी आंखो से हमने,,,
अब जरा करीब आकर,,,
पकड़ने दो कमर से तुमको,,,
और ज़रा अपने होठों को तसल्ली से,,,
मेरे होठों पर टिका कर रख दो...

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25 MAY 2021 AT 20:35

एक ये कमरा जो बात नहीं करता,,,
एक वो बालकनी जो दिन भर बुलाती है।
के खड़े रहो हाथ मे चाय का प्याला लिए,,,
इस इन्तेज़ार में की वो गुजरेगी इस गली से,,,
शर्मा के तुम्हें देखते हुए,,,
और बालकनी के नीचे आ के,,,
धीरे से संवारती अपने बालों को अपने कान के पीछे वो निकलेगी,,,
के वो दिखा सके तुम्हें अपने नए झूमके...
जो तुमने पिछली मुलाकात पर दिए थे उसे....
❤️❤❤❤❤

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17 FEB 2021 AT 21:49

इश्क की किताब का,,,
ये उसूल है मोहतरमा,,,
जो मुड़ के देखोगी,,,
तो ये मोहब्बत मानी जायेगी...

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13 FEB 2021 AT 21:04

सुनो मेरी वो काली कमीज़,,,
तुम कहीं छुपा कर रख लो,,,
अपना एक टूटा बाल,,,
उसपे सजा के रख दो,,,
संग कैद कर दो उसमें
वो खुशबू जो उस दिन हमने ओढ़ी थी,,,
अपने काजल का एक निशान
उसपर कहीं लगा कर रख दो,,,
बहुत कर लिया नशा
तुम्हारी आंखो से हमने,,,
अब जरा करीब आकर,,,
पकड़ने दो कमर से तुमको,,,
और ज़रा अपने होठों को तसल्ली से,,,
मेरे होठों पर टिका कर रख दो...

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