भगवान सिंह   (भगवान सिंह)
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Joined 8 May 2020


Joined 8 May 2020
21 DEC 2021 AT 20:04

कई दिनों बाद इस दिल को खुशी मिली है
बदन ठंड से जकड़ गया था
अन्दर ही अन्दर अकड़ गया था
धूप को तरस रहा था
दर्द बदन पर बरस रहा था
आज धूप खिली तो मन को चैन आया
बडे दिनों बाद ऐसा खुशनुमा पल पाया..

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21 DEC 2021 AT 19:57

कितना समझाया था तुम को
वक्त है इसे यूँ बेकार न जाने दो
आलस्य को अपने पास कभी न आने दो
पर तुम अपनी मस्ती में चूर
मेरी बातों को भूल गये
मौज मस्ती में झूल गये
अब वक्त आगे निकल गया
तुम्हारी खुशियों को निगल गया
अब पछताने से क्या होगा

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21 DEC 2021 AT 19:49

गुस्सा ही तो है
जो बच्चों को सिखाता है कायदा
आज न सही ,आगे चल कर मिलेगा
इन संस्कारों का फायदा
ये मेरा है आपसे वायदा..

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18 DEC 2021 AT 19:37

रिश्ते के नाम का मोहताज नहीं
कुछ रिश्ते ऐसे भी होते हैं
जिनका कोई नाम नहीं..

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18 DEC 2021 AT 19:28

जिस में खोये खोये हम रहते हैं
परवाह आज भी है तेरी
इस लिए जमाने की आज भी सुनते रहेते हैं
बदनाम ये प्यार हो न जाये
क्या करें कुछ कह नहीं पाते
बस चुपचाप सब सहते रहते हैं...

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27 NOV 2021 AT 20:21

समय ही तो था
जो एक बार चला गया तो चला गया
कभी मुड़कर नहीं देखता.

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27 NOV 2021 AT 20:19

किसी को दुःख पहुँचाना
पर आदमी भी क्या करे
परिस्थियों के आगे सब अधीन हैं..

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27 NOV 2021 AT 9:37

तुम तो ऊपर चढ़ चुके
नीचे वालों को भी चढाना..

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27 NOV 2021 AT 9:33

मैं सदा तुम्हारे इर्द गिर्द ही रहता हूँ
जो तुम सह रहे हो
उसे मैं मरने के बाद भी सहता हूँ
देख लिया जमाने को मैंने भी
अब कोई शिकायत नहीं किसी से
तेरी खातिर मैं अब भी चुप रहता हूँ..

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27 NOV 2021 AT 9:28

राह भी खुद व खुद साफ हो जाती है
पता ही नहीं चलता
राह में पड़ी धूल न जाने कहाँ चली जाती है..

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