कई दिनों बाद इस दिल को खुशी मिली है
बदन ठंड से जकड़ गया था
अन्दर ही अन्दर अकड़ गया था
धूप को तरस रहा था
दर्द बदन पर बरस रहा था
आज धूप खिली तो मन को चैन आया
बडे दिनों बाद ऐसा खुशनुमा पल पाया..-
कितना समझाया था तुम को
वक्त है इसे यूँ बेकार न जाने दो
आलस्य को अपने पास कभी न आने दो
पर तुम अपनी मस्ती में चूर
मेरी बातों को भूल गये
मौज मस्ती में झूल गये
अब वक्त आगे निकल गया
तुम्हारी खुशियों को निगल गया
अब पछताने से क्या होगा
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गुस्सा ही तो है
जो बच्चों को सिखाता है कायदा
आज न सही ,आगे चल कर मिलेगा
इन संस्कारों का फायदा
ये मेरा है आपसे वायदा..
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रिश्ते के नाम का मोहताज नहीं
कुछ रिश्ते ऐसे भी होते हैं
जिनका कोई नाम नहीं..-
जिस में खोये खोये हम रहते हैं
परवाह आज भी है तेरी
इस लिए जमाने की आज भी सुनते रहेते हैं
बदनाम ये प्यार हो न जाये
क्या करें कुछ कह नहीं पाते
बस चुपचाप सब सहते रहते हैं...-
किसी को दुःख पहुँचाना
पर आदमी भी क्या करे
परिस्थियों के आगे सब अधीन हैं..
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मैं सदा तुम्हारे इर्द गिर्द ही रहता हूँ
जो तुम सह रहे हो
उसे मैं मरने के बाद भी सहता हूँ
देख लिया जमाने को मैंने भी
अब कोई शिकायत नहीं किसी से
तेरी खातिर मैं अब भी चुप रहता हूँ..
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राह भी खुद व खुद साफ हो जाती है
पता ही नहीं चलता
राह में पड़ी धूल न जाने कहाँ चली जाती है..-