ना जाने हमें भाती क्यों नही ग़ालिब
ये ख़ामोशी सबको समझ आती क्यो नहीं।
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भूल गये वो लोग जो कभी हमें जान से ज्यादा माना करते थे
अब समझ आ रहा है ग़ालिब
वो तो बस मतलब के लिए हमपे मरते थे।-
जिस चराग ने हमे रोशन किया और
हम उसे ही अंधेरे का करण समझ बैठे
वो जलता रहा सिर्फ हमारे लिए और
उसकी इस अदा को देख हम उसे पागल समझ बैठे।
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कुछ उम्मीदें खाक में मिला दी जाती है
अब तुम काबिल नहीं रहे ये बात बिन कहे
तुम्हे बता दी जाती है ।-
जो बीत गया उसे भुला देना
इस जाते हुए साल के साथ सारे गीले मिटा लेना
जो रूठें है एक बार कोशिश कर उन्हें मना लेना
नये साल में किसी की ख़ुशी खुद को बना लेना।
HAPPY NEW YEAR (❤️❤️❣️❤️❤️)।
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हमे कुछ गुफतगु करनी है तुमसें
तुम बताओ तुम्हें वक्त कब मिलेगा
अब तो ये साल भी बीत गया ग़ालिब
हमे हमारे इंतज़ार का फल कब मिलेगा।-
लोग दिखावे भरा प्यार करते है
ग़ालिब तुम ताउम्र साथ रहने की बात करते हो
ये लोग तो बस मतलब निकलने तक साथ दिखते है।
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शायद उनका जमाना होगा
जहाँ उम्र भर साथ रहने का वाद कर
पल भर में एक दूजे को भुलाना होगा।-
बड़ा अच्छा था वो शमा जब संग तुम्हारा था
अब तो ये शमा मानों शमशान हो गया है।-
ना जाने साहिर वो है या उनकी ऑंखें ग़ालिब
जो हर मुसाफिर को अपना कायल बना लेती है।
साहिर (जादूगार)-