इजाजत दो मुझे तो बता दूँ मैं ज़माने को
कि हाँ मुझे तुमसे मोहब्बत है।
तुम्हारे प्यार में जीती हूँ,
तुम्हारे नाम पर मरती हूँ।
इश्क है मुझे तुमसे, अब जमाने से बगावत है।।
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एक मुक्कमल मुलाकात चाहती हूँ मैं
मेरी पूरी ये ख़्वाहिश करोगे क्या।
यहाँ वहाँ फिर लोगों को बताकर,
मेरी मुहब्बत की नुमाइश करोगे क्या..??-
चार दिन के व्यापार में नफ़ा चाहते हो,
आख़िर कैसा ये ख़ुद से फ़लसफ़ा चाहते हो,
ये रतजगा, ये पागलपन, परेशान करता है
अरे! इश्क़ भी करते हो... जो वफ़ा चाहते हो..!!-
सुने हैं मैंने तेरे वो अनकहे अल्फ़ाज़ भी
जो कभी तूने खुद से कहे हैं अकेले में मेरे लिए।-
आओ किसी शाम चाय पर मिलें..
जो धुंधली हो गई यादें उन्हें फिर संजोते हैं।-
सारे दर्द समेटना पड़ता है कुछ अलफ़ाज़ों में,
सिर्फ काफ़िया मिलाने वाले को शायर नहीं कहते।-
वो कह रहा है उसे मोहब्बत है मुझसे
अब कैसे बताऊँ उसे कि मजबूर हूँ मैं रिवायतों में।-
इस इश्क़ से हासिल कुछ भी नहीं हुआ आजतक
जिसने भी किया है, बेमौत...सौ मौत मरा है वो।-
मैं एक नज़्म लीखांगा तेरे लई
साडे रब नूं मनावांगा तेरे लई,
तू मेरी मौत ते आन दा वादा तो कर
मैं इन्तजार करांगा मरने लई।-
ये उम्मीद क्यों छोडूँ कि मिलेंगें हम भी कभी..
सुना है उम्मीद पर आसमान टिका है।।-