Can you tell if you feel something when you may like that no I cannot feel anything?
-The dilemma.-
मै लौट कर आने की सोचूं भी, तो कैसे ?
रास्ते बदले जब थे हमने तबसे एहसास भी तो परायो वाला दिलाने लगे।-
कोशिश के सकते थे ना सम्हालने की उस रिश्ते को जब मैं थक गई थी, या फिर कहूं यूं कि थोड़ी देर कर दी ।
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ये कौतूहल सा जो चलता मन में,
क्या वो सदा सा मेरा हिस्सा था ?
सोचूं तो पाऊ खुद को अशांत भाव में,
क्या बस ये ही मेरा किस्सा था ?
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खुशियों को संभाल के रखना साहेब ,
क्योंकि पता तो अब चल ही गया,
की जब कायनात दर्द देने पे उतर आती है ,
तो उसका कोई हिसाब नहीं होता ।-
कितनी तकलीफ़ में हैं तुम्हारे जाने से वो तो कैसे बयां करे हम
सुकून है तो बस एक बात का कि अब तुम तकलीफ़ में नहीं।-
वो ये हमसे पूछते है,
लगता है गुमनामी का रास्ता दिखाकर खुद ही भूल गए ।-
ये सन्नाटा,
ये शांति पसंद है मुझे,यूं शोर से दूर,
ये मुझे अपने अंदर झांकने को मजबूर करता है
ये रात मुझे अपने मन के अंदर चल रहे भवर को समझने का मौका देती है
मेरे मन मे चल रहे कितने ही सवालों का जवाब देती है ये और ना जाने कितने ही जीवन के सुनहरे पलों को याद करने पर मजबूर,
ये सन्नाटा मुझे कई पलों से दूर भी ले जाता है और उनकी याद भी दिलाता है,
जिन्हे देखो तो मै फिरसे जीना भी चाहती हू और भूलना भी
मंजर होता ऐसा भी है जब खो जाती हू मै इसमें, भूल जाती हूं की परे इसके भी इक दुनिया बस्ती है
सौख तो उस हसीन दुनिया को देखना का भी रखती हूं
पर एक वक़्त आता है जब समझती हूं, ये सन्नाटा, ये शांति भी मेरे इस विचलित मन को शांत ना कर पाएगा जब तक मेरे मन को सुकून की प्राप्ति ना हो।-