Bhavyata Chavada   (Briyu)
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Sweet girl
Passionate writer
Joined 31 January 2018


Sweet girl
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Joined 31 January 2018
5 JUL 2019 AT 21:02

Lustrous thing about her is....
Her mysterious purple soul always reflects in her Amethyst eyes...

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17 JUL 2020 AT 13:38

यहां लहजे पथरीले ओर फक़त होठ सुनहरे है,
ये दुनिया है जनाब !!
यहां एक चहरे के भी दो चहरे है ।

यहां नेता बड़बोले ओर कानून बहरे है,
ये दुनिया है जनाब !!
यहां एक चहरे के भी दो चहरे है ।

यहां रिसता लहू लाल ओर कहेते जख्म हरे है,
ये दुनिया है जनाब !!
यहां एक चहरे के भी दो चहरे है ।

यहां समंदर उथले ओर लोग गहरे है,
ये दुनिया है जनाब !!
यहां एक चहरे के भी दो चहरे है ।

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28 JUN 2020 AT 13:24

કાગળ ને કરવત થી કાપે છે,
ને વર્તુળ ને કોણમાપક થી માપે છે,
આવા કાચા કારીગર ને!!
કયાં તું તારું કાચનું દિલ આપે છે.

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23 JUN 2020 AT 23:08

आज मुझे अहसास हुआ कि ...

मैं गुस्से में होती हूँ तो गाडी तेज चलाती हूँ,
उदास होती हूँ तो तारों को तकती रहतीं हूँ,
खुश होती हूँ तो आसमां की तस्वीर खींचती हूँ,
निराश होती हूँ तो शाम को ढलते देखती हूँ,
उत्सुक होती हूँ तो कहा फुली समाती हूँ,
पागल होती हूँ तो कलम उठा कर तुझे लिखती हूँ,
पीड़ामय होती हूँ तो ख़ामोशी से चीख़ती हूँ,
चुप होती हूँ तो ख्यालों के संग संग बहती हूँ,

कहेने को तो बहोत कुछ है मेरे पास !!!
पर कहाँ मैं कभी कुछ कहती हूँ ।

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11 JUN 2020 AT 21:51

कुछ हरा, लहराता हुआ लिखा था उसके हाथ पर!
पढ़कर गज़ल मालुम पडता था,
वो मुसाफ़िर बस बढ़ा चला जा रहा था उस राह पर!
जहाँ हर सिम्त से अज़ल मालुम पडता था ।

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5 JUN 2020 AT 14:15

झूठ बोलने पर ना इनहे कोई थकन होती है,
ना भरोसा तोड़ ने पर माथे पे कोई शिकन होती है,
मेरे दोस्तों के रंग बदलने की रफ्तार के तो क्या कहने!!
कमबख़्त इससे तो गिरगिट को भी जलन होती है ।

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5 JUN 2020 AT 13:48

जींदगी के कुछ सालों में बहोत कुछ देखा है,

जिसके जिक्र भर से मेरे आरिज़ रंग बदलता था!!

मैंने उस शख्स का रंग बदलना भी देखा है ।

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30 MAY 2020 AT 21:51

न जाने वो ये जी जलाने वाले तरीके कहाँ से सीखता है,
मेरा किस्सा खत्म कर के अब वो कहानियाँ लिखता है,

उसकी शख्सियत कुछ और है मगर वो शख्स कुछ और दिखता है,
मगरिब की अज़ान के बाद उसकी नई महबूबा मिली थी!!
बता रही थी की नींद में वो मेरा ही नाम चीख़ता है ।

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30 MAY 2020 AT 10:02

एक दिन दो जुमलों का मसला हल हो गया,
नतीजा यह हुआ कि एक शेर सफल हो गया ।

कोई मतला कीसी फ़र्द के ,
तो कोई मक़ता कीसी बैत के बगल में हो गया,
देखते ही देखते ये सिलसिला
एक खुबसूरत गज़ल हो गया ।

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19 MAY 2020 AT 23:51

बिस्तर की सलवटों पर
वो रच दिया करता है हजारों कविताएँ,
पर मेरे अश्को से भीगे तकिये के लिए
वो क्यों कभी कुछ नहीं लिख पाता?

शायद ये वही प्रश्न है!!
जो युग युगांतर से उतर-रहीत है,
या शायद ये...
प्रेम, वासना, विरह, अपेक्षा ओर छल का वो शोर है
जिसे एक नादान सा स्त्री-मन कभी नहीं चीख़ पाता।

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