Bhavya Narayan   (नारायण)
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Joined 15 September 2018


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Joined 15 September 2018
15 AUG 2022 AT 1:41

कीर्तिमान नए गढ़ते जाना
उन्नत हो चढ़ते जाना
अग्नि ज्वाला सा दह जाना
निर्मल जल सा बह जाना
अज्ञान छाँट सक, छाँटो
मुस्कानो से तुम गम काटो
लक्ष्य पाने की आस को
प्रयासों के एहसास को
प्रीति के भाव को स्वयं के प्रभाव को
संजोते जाना आगे तुम बढते जाना
आगे तुम बढते जाना...

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14 MAY 2022 AT 12:36

खुद को देखने की हमें नज़र नई दे दो
थकी हुई इन आंखों को सबर नई दे दो

पुराने रिवाजों के तले दब गया इंसान
दस्तूर नये रचाने की खबर नई दे दो

हिम्मत एवं हौसला जो बन जाए आधार
ऐसी हमारी प्रार्थना को असर नई दे दो

अनजाने रास्तों पर चलें विश्वास को थामे
इस दिल मे ऐसी शमा को बसर नई दे दो

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29 APR 2022 AT 1:28

कसूर न मेरा था न तेरा था
असल करामात वक्त कर गया
उलझने बढ़ती गई और
वक्त ने सुलझने का वक्त ही न दिया

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22 NOV 2021 AT 0:57

तू मिला के कही तू छूट गया
यूं लगा के सब कुछ टूट गया
तू मिला मुझे तो बहुत मिला
नही मिला तो रब से है गिला

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4 NOV 2021 AT 21:33

मैने देखा है आज एक बच्चा
ये नए प्रश्न खड़े कर रहा है
पहने है फटी सी कमीज वो
दीवाली के दिए से तेल निकाल
एक बोतल में भर रहा है
चुप है लेकिन चीख-चीख कर
अपना कसूर पूछ रहा है
माँ की आँखो का तारा
देश की आँखों में खल रहा है
मैने देखा है आज एक बच्चा
ये नए प्रश्न खड़े कर रहा है

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19 SEP 2021 AT 23:18

नाराज़ हो हमसे!
तुम नाराज़ हो हमसे 'अच्छा है
हमें पराया करने का कोई और तरीका ढूंढो
ये नाराज़गी जो है ना, ये भी अपनो से ही होती है

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28 AUG 2021 AT 2:05

जिसके इश्क़ में हमने तमाम वक्त लुटा दिया
सरे आम महफिल में उसने हमें बेगैरत बता दिया

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27 AUG 2021 AT 13:40

तेरी क़िस्मत बदलने की सोची थी
अपनी हम दुनिया बदल बैठे
सोचा था चाँद लाकर देगें तुझे
अपने तारे ही गर्दिश में जा बैठे
अब क्या ख़्वाब देखें तेरे साथ
तेरी जान की सलामती सोची थी
हम खुद अपनी जान गवा बैठे

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22 AUG 2021 AT 13:12

जान गए हम समय रहते
कि सिंहासन पलटने लगे थे
ज़रा थक कर छाँव में बैठे
तो देखा दरख़्त चलने लगे थे
दे रहे थे सहारा उन्हें जब
तो बड़े हुजूम हम थे
ज़रा ठोकर हमने क्या खाई
उन्होने रास्ता बदल दिया

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21 AUG 2021 AT 11:26

नींद में भी हमने देखा ख़्वाब वो
जो मुकम्मल हो न पाएगा
बस है बैठा रहता
नींद की इंतजार में ये दिल
कि बार-बार वो ख़्वाब आएगा

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