कीर्तिमान नए गढ़ते जाना
उन्नत हो चढ़ते जाना
अग्नि ज्वाला सा दह जाना
निर्मल जल सा बह जाना
अज्ञान छाँट सक, छाँटो
मुस्कानो से तुम गम काटो
लक्ष्य पाने की आस को
प्रयासों के एहसास को
प्रीति के भाव को स्वयं के प्रभाव को
संजोते जाना आगे तुम बढते जाना
आगे तुम बढते जाना...-
🔵Lifetime Member Shri Ganga Sabha®
🔵CEO HE... read more
खुद को देखने की हमें नज़र नई दे दो
थकी हुई इन आंखों को सबर नई दे दो
पुराने रिवाजों के तले दब गया इंसान
दस्तूर नये रचाने की खबर नई दे दो
हिम्मत एवं हौसला जो बन जाए आधार
ऐसी हमारी प्रार्थना को असर नई दे दो
अनजाने रास्तों पर चलें विश्वास को थामे
इस दिल मे ऐसी शमा को बसर नई दे दो-
कसूर न मेरा था न तेरा था
असल करामात वक्त कर गया
उलझने बढ़ती गई और
वक्त ने सुलझने का वक्त ही न दिया-
तू मिला के कही तू छूट गया
यूं लगा के सब कुछ टूट गया
तू मिला मुझे तो बहुत मिला
नही मिला तो रब से है गिला-
मैने देखा है आज एक बच्चा
ये नए प्रश्न खड़े कर रहा है
पहने है फटी सी कमीज वो
दीवाली के दिए से तेल निकाल
एक बोतल में भर रहा है
चुप है लेकिन चीख-चीख कर
अपना कसूर पूछ रहा है
माँ की आँखो का तारा
देश की आँखों में खल रहा है
मैने देखा है आज एक बच्चा
ये नए प्रश्न खड़े कर रहा है-
नाराज़ हो हमसे!
तुम नाराज़ हो हमसे 'अच्छा है
हमें पराया करने का कोई और तरीका ढूंढो
ये नाराज़गी जो है ना, ये भी अपनो से ही होती है-
जिसके इश्क़ में हमने तमाम वक्त लुटा दिया
सरे आम महफिल में उसने हमें बेगैरत बता दिया-
तेरी क़िस्मत बदलने की सोची थी
अपनी हम दुनिया बदल बैठे
सोचा था चाँद लाकर देगें तुझे
अपने तारे ही गर्दिश में जा बैठे
अब क्या ख़्वाब देखें तेरे साथ
तेरी जान की सलामती सोची थी
हम खुद अपनी जान गवा बैठे-
जान गए हम समय रहते
कि सिंहासन पलटने लगे थे
ज़रा थक कर छाँव में बैठे
तो देखा दरख़्त चलने लगे थे
दे रहे थे सहारा उन्हें जब
तो बड़े हुजूम हम थे
ज़रा ठोकर हमने क्या खाई
उन्होने रास्ता बदल दिया-
नींद में भी हमने देखा ख़्वाब वो
जो मुकम्मल हो न पाएगा
बस है बैठा रहता
नींद की इंतजार में ये दिल
कि बार-बार वो ख़्वाब आएगा-