Bhavya Mishra   (Shadowistic Soul)
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“I write what hearts hide, where shadows dream and silence speaks.”

—bhavya
Joined 18 February 2020


“I write what hearts hide, where shadows dream and silence speaks.”

—bhavya
Joined 18 February 2020
3 HOURS AGO

~~~~Captioned

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15 JUL AT 22:52

हिचकियाँ कह रही थीं तूने पुकारा मुझको
पर तेरे लहजे ने हर बार नकारा मुझको ।

ख़त पुराने तेरे अब तलक जलाए नहीं।
याद ने तेरी आज फिर से संवारा मुझको।

पढ़ कर के हँस दिए....हम तेरे झूठे वादे
उन्हीं बातों ने फिर ग़म से उभारा मुझको।

तू आज भी है यहीं साथ चाहे हो न हो
तेरे होने के बस अहसास ने निखारा मुझको।

तेरी यादें थी मेरा सब से बड़ा सरमाया
तुझे भूल जाऊं कह कर तूने मारा मुझको।

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15 JUL AT 19:56

Breathe if you dare, but don’t beg for my grace,
Love was a wound I refused to replace.
Apathy fits like a blade in my hand,
No one survives where I choose to stand.
Karma walks barefoot, but I run ahead.

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15 JUL AT 17:18

चलो माना यकीं मुश्किल है लेकिन बात तो सच है
तुम्हीं से रश्क़ भी है और हमारा इश्क भी तुम हो ।।

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14 JUL AT 21:26

बरसे नैन...मेरे
जैसे बदरिया,
जब से हैं लागे...
तोसे सांवरिया।
बिन देखे तुझको....
आए न मोहे निंदिया..
तुझको पुकारे...सजन
मेरी ये बिंदिया....
ताकूं मैं तोहे जैसे
बनी मैं चकोरी...
चाँद सी सूरत से
बाँधी जो डोरी...
जाने कब आओगे
मेरे सांवरिया
बरसे नैन...
जैसे बदरिया !!

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14 JUL AT 20:09

You typed. And I saw.
But I didn’t care.
Left you hanging...
Air to air.
I’ve cried too much
To chase a text,
So now your silence
Gets me rest.
Three dots blinked
Like old regret,
I read. I smiled.
And I forget.

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14 JUL AT 17:59

कभी जो छू लिया था तुमने ख्वाबों में बहाने से
लबों पर आज तक मेरे जो नज़्में हैं तुम्हारी हैं ।।

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14 JUL AT 17:48

जो मन का बोझ उठाते हैं,
वो आँसू ही कहलाते हैं।

जो बात बात पर रोते हैं...
वो भी तो साहसी होते हैं।।

जो बात नहीं कह पाते हम,
उन बातों का भी दोष नहीं ।

जो बहता है बह जाने दो ,
ये आँसू है कमज़ोरी नहीं ।।

जिसने पीड़ा को पहचाना,
उसने खुद को भी है जाना।

जो आँखों से बह निकला,
उसकी मंज़िल थी बह जाना ।।

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13 JUL AT 23:32

"Beyond the Infinity — I choose you."



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13 JUL AT 16:28

चंचल मन है बावरा, ज्यों नदिया की धार,
रुके नहीं इक पल कहीं, घूम आए संसार ।।
घूम आए संसार बहुत ये पागल ठहरा
जब समझाने जाऊँ , तो बन जाता है बहरा ।।
बात नहीं सुनता बस करता है मनमानी
सबको समझे मूरख, खुद करता नादानी ।।

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