Yu kho gye hum
Pehla ki bheed mein
Khud se hi Ruth gye hum-
I am a student
Shyari
Own words
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गैरों से क्या शिकायत क्रे
अपनो ने ही तोड़ा है
ख्वाबों की दुनिया को
बुरी तरह से मड़ोडा है
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खुद की तकलीफ को खुद ही संभाल लेते हैं
गैरों से क्या बोले खुद ही सिसकिया लेते हैं
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नामुमकिन सा लगता हैं
डूबते हुए नाव का
सहारा सा लगता हैं
बिन गुजारे लम्हे एक
खौफनाक सपना सा लगता है
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समुंदर की ओर बहती जा रही हूं
तेरे ख्यालों में खोती जा रही हूं
तुझसे इश्क करके ,
तेरे ही ख्वाओं मे दूबती जा रही हूं
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