मैंने बहुत कुछ सिखा है या यूं कहूं कि जीवन को जीना सीखा है...
प्रेम के मार्ग पर चलने चलने ही मैंने अपने जीवन को जीने की यात्रा की है...
मेरा सफ़र बहुत उलझनों भरा रहा है,
हजार झंझावात झेलें है इस हृदय पर,
स्वयं को उस स्थिति में पाया।
जहां मेरा सब कुछ बिखरा हुआ सा लगा, स्वयं को रिता पाया है,
परन्तु हार कर भी हारी नहीं, क्यों कि एक विश्वास की लौ ने मुझे जगमगा है,
मुझे मेरे आराध्य देव ने थाम लिया है,कहते हैं यदि प्रेम सच्चा और
पवित्र हृदय से किया जाएं तो उसे ईश्वर की मिलने आते हैं,
मैं भी उसी यात्रा पर हूं जहां से ये आत्मा परमात्मा में एकाकार हो जाएं ..
और जब तक इस तन में प्राण रहेंगे तब तक
ये यात्रा अनवरत जारी रहेगीऔर एक दिन ऐसा आएगा कि
इस तन से सांसों का आवागमन ही
प्रेममय हो , श्रीं में विलुप्त हो जाएगा..
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