Bhavishya Kumar Verma   (BV)
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Joined 13 May 2017


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13 MAY 2024 AT 15:29

Haqiqat itni si hi hai , ise pehchan kar Chalo
Bus tum hi ho tumhare , ise man kar chalo

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7 MAR 2024 AT 13:14

Khamoshi behtar Zuba hai
Apni naraazgi baya karne ki

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25 APR 2023 AT 22:06

बिताये है मैंने ज़िन्दगी के कई साल तेरे बगैर
तेरे साथ हर पल में अब मुझे एक ज़िन्दगी जीनी है

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5 JAN 2023 AT 9:34

उसके बिना दिन दिन नहीं लगता
उसके बिना रात रात नहीं लगती
करते रहते है हम घंटो बातें
ओर किसी की बातें अब कोई बात नहीं लगती

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1 JAN 2023 AT 20:01

की मैं हर वक़्त समझने की कोशिश में हु उसे
वो शक्श जिसके पास मेरे लिए वक़्त ही नहीं

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30 DEC 2022 AT 7:23

की सब जीते भी है बहुत , बहुत हारे भी है
सब तनहा भी है यहाँ , सबके सहारे भी है
और याद रखना तू ये अपने बुरे दिनों में
कि ये समुन्दर बड़ा तो बहुत है , पर इसके किनारे भी है

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29 DEC 2022 AT 22:35

वो कभी अंत नहीं होता बस एक मोड़ होता है
जिसे दूर से देखकर कई लोग वापस मुड जाते है

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18 DEC 2022 AT 12:55

उसे छोड़ देना समुन्दर मे किसी पथ्थर को फेक देने जितना आसान था
और उसे भूला पाना समुन्दर में उसी पथ्थर को फिरसे ढूंढने जितना मुश्किल

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16 DEC 2022 AT 22:31

की सोच दौड़ने की चल रही है दिमाग में , पर मैं चल भी नही रहा हु
ये वक़्त बड़ी तेज़ी से गुज़र रहा है, और मैं बदल भी नहीं रहा हु

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15 DEC 2022 AT 8:20

सबकी नज़रे सबके नज़राने अलग होते है
सबका वक़्त सबके ज़माने अलग होते है
बेहतर बनना है मुझे , तो अपनी नज़र में बस
क्युकी यहाँ हर शक्श के पैमाने अलग होते है

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