मुस्कुराने की वजह सिर्फ तुझमें पाई है ,
ए खुदा जागे दे इश्क़ जो बरसों से सुलाई है ,
कहा नींद कहा चैन आया है मुझे ,
उसके चेहरे पे नूर इस कदर अाई है ,
उसकी उम्र भी हमे लगे,
ऐसी दुआ ख़ुदा से उसने जताई है ,
वक़्त से जो इंतज़ार में रो रही थी ,
हमें देखकर वो फिर से मुस्कुराई है ,
हमारी सांसें जिसके बिना एक रिवाज़ थी ,
उसकी सांसों से मिलकर राहत सी पाई है ,
कोसती रही वो जिस वजह को दूरों से ,
समझती नहीं जिसने हमे मिलाया है वो जुदाई है ,
उसका इश्क़ मेहज़ एक एहसास नहीं ,
इश्क़ में उसके बसती ख़ुदायी है,
उसकी तस्वीर झलकती है हमारी नज़रों में ,
वो हमारी रूह में समाई है ,
उसकी आंखें नम है ,
आंसुओं के ज़रिए हमारी सूरत उतर आई है ,
मै यहां अकेला ना रहूं इस ज़िन्दगी के सफ़र में ,
इसलिए ख़ुदा ने अपनी पाक रूह बनाई है ,
वो इस बेज़ार दुनिया में यूं है मानो ,
ख़ुद जन्नत से ख़ुदा की परी उतर आई है।।।।
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